
सूत्र सम्मान अलंकरण में डॉ. संजय अलंग ने कोरिया की मिट्टी को याद किया
विद्वान साहित्यकारों के मध्य आयोजित इस सम्मान समारोह में सूत्र सम्मान अलंकरण प्राप्त कर मैं गौरव महसूस कर रहा हूं विशाल साहित्य परिवार की उपस्थिति के बीच मैं कोरिया एवं मनेंद्रगढ़ से शामिल साहित्यकारों की उपस्थिति से उनकी आत्मीयता और अपनत्व को बेहद करीब से महसूस कर रहा हूं और मेरे बचपन के साथ जुड़ी कोरिया अंचल की मिट्टी हमेशा मुझे खींचती रही है. आज सूत्र सम्मान की खुशी के मध्य इस अंचल के रचनाकारों की उपस्थिति मुझे अपने परिवार का एहसास करा रही है उक्त आशय के विचार कवि, साहित्यकार एवं बिलासपुर और सरगुजा के संभागायुक्त डॉ संजय अलंग ने सूत्र सम्मान ग्रहण करने के उपरांत अपने आभार उद्बोधन में व्यक्त किए.
संस्कृति भवन रायपुर में सुप्रसिद्ध आलोचक ,राजाराम भादू , साहित्यकार त्रिलोक महावर , जनधारा पत्रिका के संपादक सुभाष मिश्र,श्रीकांत वर्मा सृजन पीठ के अध्यक्ष रामकुमार तिवारी एवं रंगमंच की चर्चित निदेशक सुश्री नगीन तनवीर एवं नाट्य निर्देशक विजय सिंह तथा सरिता सिंह के कर कमलों से डॉक्टर संजय अलंग को सूत्र सम्मान अलंकरण प्रदान किया गया.
देशभर के साहित्यकारों, रंग कर्मियों एवं साहित्य सुधि पाठकों की उपस्थिति में आयोजित एक विशाल समारोह में सुप्रसिद्ध , नाट्य निर्देशक, साहित्यकार एवं ठाकुर पूरन सिंह स्मृति सूत्र सम्मान के प्रणेता विजय सिंह ने सूत्र सम्मान के संदर्भ में अपने प्रारंभिक वक्तव्य के साथ सूत्र सम्मान कार्यक्रम को प्रारंभ किया. संचालक प्रखर सिंह एवं आमोद श्रीवास्तव के संचालन के साथ डॉ संजय अलंग की कविताओं पर समीक्षात्मक वक्तव्य शरद कोकास दुर्ग, रजत कृष्ण बागबाहरा एवं अजय चंद्रवंशी कवर्धा द्वारा प्रस्तुत किया गया .
आमोद श्रीवास्तव के सफल संचालन में कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में विशिष्ठ कविता पाठ का कार्यक्रम वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष डॉ. सतीश जायसवाल, छत्तीसगढ़ साहित्य परिषद के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त एवं सुप्रसिद्ध रचनाकार नासिर अहमद सिकंदर के आतिथ्य में प्रारंभ हुआ. जिसमें डॉ संजय अलंग, शरद कोकास,नागपुर महाराष्ट्र से किरण काशीनाथ जैसे प्रबुद्ध रचनाकारों के साथ-साथ दलजीत सिंह कालरा एवं संबोधन संस्था के अध्यक्ष मनेंद्रगढ़ के कवि वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, गौरव अग्रवाल, अनामिका चक्रवर्ती, राजनगर से सरिता श्रीवास्तव तथा बैकुंठपुर से योगेश गुप्ता ने अपनी कविता प्रस्तुति से मंच को बांध दिया. वरिष्ट रचनाकारों ने अपनी तालियों से सराहना की.
नाट्य निदेशक शैलेंद्र मणि कुशवाहा के निर्देशन में डा. संजय अलंग की कविताओं की नाट्य प्रस्तुति ने मंच को ऊंचाइयों दी. वहीं छत्तीसगढ़ की नाट्य संस्कृति की पहचान और धरोहर स्वर्गीय हबीब तनवीर की पुत्री सुश्री नगीन तनवीर द्वारा नाटक के अंतिम दृश्य में अतिथि निर्देशक के रूप में चर्चित गीत *चोला माटी रे * की गीत प्रस्तुति ने मंच को ऊंचाइयों प्रदान की वहीं दर्शकों को तालियों के लिए बाध्य कर दिया ।
संपादक- राजेश सिन्हा