मनेंद्रगढ़ में फाग फुहार का कार्यक्रम का हुआ आयोजन कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को किया गया समर्पित
मनेन्द्रगढ़ एमसीबी// हमारा आज का फाग फुहार कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को समर्पित है हमारे लिए यह गौरव का विषय है कि विनोद कुमार शुक्ल को अमेरिका में दुनिया के सर्वोच्च सम्मानों से एक पेन अमेरिका व्लादिमीर नाबाकोव सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है.
कोरिया साहित्य एवं कला मंच के अध्यक्ष रितेश कुमार श्रीवास्तव के निवास पर आयोजित कार्यक्रम फाग फुहार की शुरुआत करते हुए संस्था की संस्थापक सदस्य और क्षेत्र की सुपरिचित साहित्यकार अनामिका चक्रवर्ती ने कहा कि आज की नई पीढ़ी की तो बात ही छोड़िए नए और तथाकथित साहित्यकार भी अपने सिवाय दूसरे के बारे में न तो जानते हैं और न ही पढ़ते हैं श्री शुक्ल बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार हैं उन्होंने कविता, कहानी,उपन्यास आदि सभी विधाओं में लिखा है उनकी एक कविता है..”जितने सभ्य होते हैं उतने अस्वाभाविक । आदिवासी जो स्वाभाविक हैं उन्हें हमारी तरह सभ्य होना है हमारी तरह अस्वाभाविक” इसके बाद उन्होंने अपनी रचना –“आलू टिक्की और गर्म तवा” के माध्यम से सज्जन से दिखने वाले सज्जन पुरुषों की ओढ़ी हुई सज्जनता का चित्रण किया इसी तारतम्य में सरिता तिवारी ने अपनी रचना सुनाई..”प्रीत से सराबोर मेरा मन, तुम्हें कौन सा रंग लगाऊं पिया”
इसके बाद मंच संचालन में सिद्धहस्त वीरांगना श्रीवास्तव ने अपना गीत सुनाया..”कान्हा के संग खेलती होली सखियां आज”
इसके बाद कोरिया साहित्य एवं कला मंच के संरक्षक और कार्टूनिस्ट, व्यंग्यकार जगदीश पाठक ने अपने व्यंगों से कार्यक्रम का वातावरण बदल दिया. इसी तारतम्य में क्षेत्र के वरिष्ठ साहित्यकार गंगा प्रसाद मिश्र ने अपने गीत सुनाए तत्पश्चात संस्था के संस्थापक सदस्य मृत्युन्जय सोनी ने अपनी रचना पढ़ी–“स्त्री है तो खुशी है, स्त्री है तो उत्सव है, स्त्री सोख लेती है सारे दुख,दर्द और ऊग आती है हरियाली“
इसी तारतम्य में नगर के सुरीले गीतकार नारायण प्रसाद तिवारी ने बसंत पर अपना गीत सुनाया-“दिल हारे जब संत कोई,मानो आया अब बसंत है” इसके बाद संस्था के वर्तमान अध्यक्ष रितेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा-” होली का त्यौहार आया मन में रंग गुलाल लाया खूब खिले टेसू वन में वन में खूब बहार लाया” इसके बाद नवोदित साहित्यकार कु.पूर्णिमा जायसवाल ने अपनी कविता सुनाई तत्पश्चात गौरव अग्रवाल ने फागुन पर अपना गीत सुनाया… “आया होली का त्योहार, मैं तो रंग लगाउंगा” इसके बाद संस्था की ज्योतिमाला श्रीवास्तव ने अपनी कविता पढ़ी-“यहीं कहीं था, केसरिया रंग वाला पलाश” इसके बाद लगभग ढाई साल से अपने घंटनाद के लिए चर्चित अधिवक्ता विजय प्रकाश पटेल और ग्रीनवैली के अध्यक्ष नरोत्तम शर्मा ने अपने फिल्मी गीतों से समां बांधा तत्पश्चात सरिता श्रीवास्तव ने अपनी कविताएं सुनाईं इसी तारतम्य में कवित्त के लिए प्रसिद्ध एस.एस.निगम ने अपने कवित्त सुनाए तत्पश्चात अपने योग के लिए प्रसिद्ध सतीश उपाध्याय ने अपने साहित्यिक गुरु बीरेंद्र श्रीवास्तव को प्रणाम करते हुए अपनी रचनाओं का पाठ किया.बिरेन्द्र श्रीवास्तव व अनिल जैन ने भी अपनी कविताओं का पाठ किया कार्यक्रम के अंत में जगदीश पाठक ने सभी को होली की उपाधियां दीं और संस्था अध्यक्ष रितेश कुमार श्रीवास्तव नेसभी के प्रति आभार व्यक्त किया इस अवसर पर मृत्युन्जय सोनी,अनामिका चक्रवर्ती, रितेश कुमार श्रीवास्तव, नीलम सोनी, संजय ताम्रकार, विनोद तिवारी, जगदीश पाठक,सरिता श्रीवास्तव,रोमेश श्रीवास्तव,ज्योतिमाला श्रीवास्तव, गंगा प्रसाद मिश्र, विजय प्रकाश पटेल, नरोत्तम शर्मा, गौरव अग्रवाल,बिरेन्द्र श्रीवास्तव,वीरांगना श्रीवास्तव, डा.सुरभि श्रीवास्तव,सरिता तिवारी,नारायण प्रसाद तिवारी,अनिल जैन, ऊषा श्रीवास्तव, एस.एस.निगम,पूर्णिमा जायसवाल उपस्थित रहे।
संपादक- राजेश सिन्हा