
जब लगाते है आरोप तो डॉक्टर करने लगते हैं आंदोलन
संपादक – राजेश सिन्हा
मनेंद्रगढ़ एमसीबी // डॉक्टर को कलयुग का भगवान माना जाता है और इनपर विश्वास किया जाता है लेकिन कुछ घटनाएं कहीं ना कहीं डॉक्टरों पर भी सवाल खड़ा होता है
फिलहाल अभी 2 दिन पहले की घटना जब ऑटो चालक नारायण पतवार का एक्सीडेंट हुआ और वह मनेंद्रगढ़ स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के लिए लाया गया 4 बजे का समय जब उन्हें भर्ती कराया गया लेकिन डॉक्टर रात 8:00 बजे तक उपचार के लिए नहीं आए अब आप सोचिए उस परिवार पर क्या बीता होगा जब उपचार ना होने पर मरीज दम तोड़ दिया बताए जा रहा उस दिन इलाज के आभाव में दो लोगो की और मृत्यु हुई थी
डॉक्टर पर हुआ हमला
जी हां इस तरह की घटना नहीं होना चाहिए यह समाज के लिए ठीक नहीं है, क्योंकि डॉक्टर हमेशा सेवा के लिए तत्पर रहते हैं लेकिन इस बात को भी समझना चाहिए यह घटना क्यों हुआ क्यों लोगों में इतना आक्रोश आया क्या कारण है, कि लोग डॉक्टर को मारने पर उतारू हो गए कहीं ना कहीं इसमें सिस्टम की उदासीनता भी दिखता है।
डॉक्टर चला रहे प्राइवेट क्लीनिक लगना चाहिए प्रतिबंध
डॉक्टर सरकारी हॉस्पिटल में मरीजों को मुफ्त इलाज के लिए रखा गया है वही डॉक्टर अपने प्रायवेट क्लीनिक खोल रखा है और लाखों कमा रहे हैं जब डॉक्टर समय पर स्वास्थ्य केंद्र पर ना आकर ज्यादा समय अपने क्लीनिक पर देंगे तो स्वास्थ्य केंद्रों में आए इमरजेंसी मरीजों को किस तरह स्वास्थ्य सेवा दे पाएंगे इसलिए प्राइवेट क्लीनिक पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
ऐसे भी डॉक्टर हैं
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ऐसे भी डॉक्टर स्वास्थ्य केंद्र में है जहां मरीजों से खुलकर पैसा लूटते हैं उनका खुद का अपना प्राइवेट क्लीनिक जहां स्वास्थ्य केंद्र में आए मरीजों को अपने प्राइवेट क्लीनिक में बुलाते हैं और टेस्ट और इलाज के नाम पर हजारों रुपए कमाते हैं ।
स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा भर्राशाही
जी हां स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर ही नहीं कर्मचारी भी भर्राशाही चला रहे क्योंकि स्वास्थ्य केंद्र में इनको भी समय पर नहीं आना है। यहां तक की स्वास्थ्य केंद्र में देखा गया है की जरूरत की समान रुई से लेकर दवाइयां तक उपलब्ध नहीं होता है, डॉक्टर कभी इसके लिए पहल नहीं करते और ना इसके लिए कभी आंदोलन करते हैं, स्वास्थ्य केंद्र जब तक स्वास्थ से संबंधित दवाइयां उपलब्ध हो तो हम कार्य नहीं करेंगे, बल्कि वह खुद चाहते हैं स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य संबंधित दवाइयां उपलब्ध ना हो जिससे उनका प्राइवेट क्लीनिक फलता फूलता रहे यह भी सही है की सभी डॉक्टर व स्टॉप एक जैसे नहीं होते कुछ मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार भी रहता है जिससे चलते मरीज स्वास्थ्य केंद्रों में आते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं जिन्हें लोगों को गाली देते भी देखा गया है लेकिन मजबूरी वह खुलकर नहीं आते हैं अगर खुलकर आ गए तो डॉक्टर आंदोलन की राह पकड़ लेते हैं शासन को भी पता डॉक्टर की कमी है और मजबूरी में उनका साथ देती है। शासन प्रशासन को चाहिए कि ऐसे डॉक्टर को तुरंत स्वास्थ्य केंद्र से रिलीव करें जो कई सालों से एक जगह पर बैठ हुए हैं और मलाई खा रहें हैं।
(देखिए अगले अंक में नाम सहित किया जाएगा प्रकाशन किस किस डॉक्टर का चल रहा क्लीनिक किसकी सेटिंग है पैथोलॉजी से स्वास्थ्य केंद्र में कौन-कौन सी दवाइयों की है कमी कौन नही ………)