
देश हित में आरक्षण तथा sc,st एक्ट की समीक्षा जरूरी -डाॅ. शिव शरण श्रीवास्तव (अमल)
देश मे पिछले सत्तर सालो से जातिगत आरक्षण लागू है, क्या इन सत्तर सालो में एक भी आरक्षित वर्ग का परिवार सामान्य बन पाया है या नहीं ? अगर नहीं तो फिर इस व्यवस्था को जारी रखने का क्या औचित्य है ? अगर विधायक, सांसद, मंत्री, अधिकारी बनने के बाद भी वह व्यक्ति और उसका परिवार आज भी दलित है तो फिर असली वंचित, शोषित, पीड़ित किसे कहा जायेगा? इसी तरह sc,st एक्ट के तहत, सिर्फ आरोप लगाने से सवर्ण या ओबीसी समाज के व्यक्ति को अपराधी मानकर जेल मे डाल दिया जाए, यह कौन सा न्याय है ? देश को गृहयुद्ध की आग मे झोंकने जैसी इस व्यवस्था की समीक्षा जरूरी हो गई है । देश के विकास के लिए आरक्षण और sc,st एक्ट में निम्नानुसार सुधार आवश्यक हैं_
1,सभी गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) के परिवारों को आरक्षण के दायरे में लाया जाए, जाति के आधार पर नहीं ।
2,जितने भी यतीम (अनाथ),और दिव्यांग (विकलांग) है,उन्हें भी आरक्षण के दायरे में लाया जाए।
3, जितनी भी उम्रदराज परित्यकत्ता, कल्याणी (विधवा),और अविवाहित महिलाए है उन्हें भी आरक्षण के दायरे में लाया जाए ।
4,आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा न हो ,ताकि प्रतिभा के साथ नाइंसाफी न हो,और देश का विकास भी बाधित न हो ।
5,आरक्षण पढ़ाई में,नौकरी मिलने अथवा स्वयं का रोजगार शुरू करने तक ही हो, प्रमोशन में आरक्षण नहीं होना चाहिए ताकि किसी तरह की हीन भावना न पनपे, सबको आगे बढ़ने के समान अवसर मिले, देश के विकास मे प्रतिभावो का पूरा लाभ मिल सके, आपस मे वैमनुष्यता न पनपने पाए
6, चुनाव में भी जो जातिगत आरक्षित क्षेत्र है,उनकी भी समीक्षा की जाय ताकि पीढ़ी दर पीढ़ी आरक्षण का लाभ लेने वालों की जगह असली हकदार को उसका लाभ मिल सके।
7,, जिस परिवार को एक बार आरक्षण मिल चुका हो, उसे दुबारा नहीं मिलना चाहिए।
8,, जनसंख्या नीति का पालन नहीं करने वाले, धर्मांतरण करने वाले ,गंभीर अपराधो मे लिप्त एवं डिफाल्टर्स को भी आरक्षण नहीं मिलना चाहिए।
9,,sc,st एक्ट में बिना जांच गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए।
भूख, गरीबी, लाचारी के,
नहीं जातिगत रिस्ते हैं।
कितने बच्चे , युवा, वृद्ध सब,?
तड़प_तड़प कर मरते हैं ?
क्या अगड़े, क्या पिछड़े निर्धन,
कितना दंश झेलते हैं ?
कितनो के घर चूल्हा जलता,
कितने फांके भरते हैं ?
अगड़े, पिछड़े, दलित नहीं हम,
ना ही आदिवासी हैं।
कहो प्रेम से सब मिलकर के,
हम सब भारतवासी हैं।।
केवल एक जाति है मानव,
मानवता ही एक धरम।
जियो और जीने दो सबको,
यही धर्म का मूल मरम।।
राजेश सिन्हा