
क्या सवर्ण इस देश के नागरिक नहीं हैं ?- डॉक्टर शिव शरण श्रीवास्तव (अमल)
अभी छत्तीसगढ़ सरकार ने sc,st,obc के लिए अलग _अलग संचालनालय की स्थापना करने का प्रस्ताव पास किया है , और प्रत्येक के लिए सलाहकार परिषदे बनाई जा रही हैं, जो इन वर्ग विशेष के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनायेगी।
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या इस देश के संसाधनों, योजनाओं में सवर्ण समाज का कोई हक नहीं है ? क्या सारी मलाई सिर्फ वर्ग विशेष के लिए ही है, ? वैसे भी पिछले बहत्तर सालों से जातिगत आरक्षण और sc,st एक्ट के चलते, सवर्ण समाज दोयम दर्जे का नागरिक बना हुआ है,90% नंबर लाने के बावजूद 40% वाले का अंडर मे काम करने को मजबूर है, सीनियर होने के बाद भी जूनियर के नीचे काम कर रहा है, फिर भी क्या संतोष नहीं हो रहा जो सभी सरकारें सिर्फ वर्ग विशेष के हित की ही योजनाएं बना रही हैं ?
डा मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री रहते हुए यह कहा था कि इस देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानो का है, इसी तरह अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए कहा था कि सिर्फ मुस्लिम बेटियां ही हमारी बेटियां हैं, शिवराज सिंह चौहान ने भी ऐसा बयान दिया था कि कोई माई का लाल आरक्षण समाप्त नहीं कर सकता, मोदी सरकार ने तो sc,st एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही बदल दिया, आखिर ये सब क्या हो रहा है ? क्या किसी को देश की चिंता है? क्या ऐसे में भारत फिर कभी विश्व गुरु बन सकता है?
जबकि वास्तव मे आजादी की लड़ाई से लेकर अब तक देश की समृद्धि मे सब से ज्यादा योगदान सवर्ण समाज का ही रहा है, लेकिन पिछले सत्तर_बहत्तर सालों से आजाद भारत में सबसे ज्यादा शोषण सवर्ण समाज का ही हुआ है,।
यह कितने दुर्भाग्य की बात है कि विधायक, सांसद, मंत्री, अधिकारी बनने के बावजूद वे अभी भी दलित बनकर पूरा लाभ ले रहे हैं परंतु पान का ठेला लगाने वाला सवर्ण समाज का व्यक्ति योग्य होने के बावजूद सारी सुविधाओं से वंचित है!
दुर्भाग्य की सीमा तब और भी बढ़ जाती है जब सवर्ण समाज का एक भी प्रतिनिधि अपने समाज के हित के बारे मे एक भी शब्द नहीं बोलता है, और बड़े ही बेशर्मी से सारी योजनाओं के समर्थन में ताली बजाता रहता है।
इस तरह की वोट बैंक की कुटिल नीति से एक बात तो पक्की है कि कोई भी राजनीतिक दल देश हित के लिए नहीं बल्कि सिर्फ अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए ही राजनीति करता है, ऐसे में देश के भविष्य का क्या होगा, इसे भगवान ही जाने।
राजेश सिन्हा