प्रकृति का दर्द बयां करती कविताओं का संग्रह है
इस खनकती सभ्यता मे बलदाऊ गोस्वामी का काव्य संग्रह विमोचित
बैकुंठपुर /कोरिया – प्रकृति का दर्द बयान करती कविताओं का संग्रह है
बलदाऊ गोस्वामी का काव्य संग्रह इस खनकती सभ्यता मे जिस में शामिल है चिरई
का दर्द, लगातार कटते जंगल और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ मानवीय संवेदना का समाज से निरंतर विलुप्तता की ओर पलायन. उक्ताशय के विचार शासकीय विवेकानंद महाविद्यालय मनेंद्रगढ़ के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर बृज लाल साहू जी मुख्य अतिथि के आसंदी से व्यक्त किए . उन्होंने कहा कि कविताओं में बिम्ब और प्रतीक शब्द-चित्र के समान प्रतिबिंब है. देशज शब्द गांव, गवंई, डगर ,पनघट ,की सम्मोहक छवि बनाते हैं. कवि की कविताओं में भोगा हुआ यथार्थ और सुकोमल भावनाओं का मणिकांचन संयोग है.
होटल गंगा श्री के सभागार में संभ्रांत नागरिकों एवं साहित्यकारों की उपस्थिति में काव्य संग्रह *इस खनकती सभ्यता में* पुस्तक का विमोचन संपन्न हुआ. मां सरस्वती की आराधना के पश्चात कार्यक्रम आयोजक सम्यक क्रांति के प्रबंधन निदेशक एस के रूप एवं कोरिया जिले के भाजपा उपाध्यक्ष देवेंद्र तिवारी ने शाल श्रीफल एवं पुष्प गुच्छ भेटकर मंचासीन अतिथियों तथा साहित्यकारों का स्वागत किया.
मंचासीन साहित्यकार बीरेंद्र श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपनी कलम से प्रेम की संवेदना समाज की कुरीतियों को कुरेदने और शब्दों तथा भाषा के माध्यम से कविताओं का स्वरूप देने का बलदाऊ गोस्वामी का यह संग्रह संभावनाओं के उस बीज के अंकुरण की वह पौध है जिसमें साहित्य के आकाश मे छा जाने के गुण विद्यमान हैं. साहित्यकार श्रीमती अनामिका चक्रवर्ती ने कहा कि हर लेखक के जीवन का सपना होता है, उसके पुस्तक का आना और पहली पुस्तक का प्रकाशन उसकी पहली संतान की तरह प्रिय होती है.आज साहित्य के बाजारीकरण के दौर में ग्रामीण क्षेत्र के गांव का मजदूरी करने वाला लेखक जब अपनी उपस्थिति साहित्य के क्षेत्र में दर्ज कराता है. तब बहुत खुशी होती है .
साहित्यकार सतीश उपाध्याय ने संग्रह की कविताओं का मुंगेली सहित कई चौराहों पर *कविता चौराहे पर* बोर्ड मैं प्रस्तुति उनकी रचनाओं की स्वीकार्यता को व्यक्त करता है . सरल शब्दों में छोटी-छोटी रचनाओं में भी बड़े संदेश देने की उनकी विधा पाठकों को आकर्षित करती है.
कार्यक्रम संयोजक एस के रूप में अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि बलदाऊ जी की इस कृति के विमोचन अवसर पर मैं स्वयं महसूस कर रहा हूं कि हम हिंदी साहित्य के एक उज्जवल भविष्य को प्रस्तुत करने में सफल रहे हैं.
राजनीतिक कैरियर के साथ साहित्य से जुड़े हुए देवेंद्र तिवारी जी ने कहा कि हर व्यक्ति की तरह बलदाऊ की रचनात्मक प्रतिभा उसकी पहचान है और इसी पहचान को निखार कर समाज के सामने लाने का हमारा प्रयास कितना सफल रहा है इसका मूल्यांकन आने वाला समय करेगा.
कार्यक्रम का सफल संचालन शारदा गुप्ता ने किया इस कार्यक्रम मैं गणमान्य नागरिकों सहित साहित्यकार कामिनी त्रिपाठी , अनीता चौहान, संजीदा खातून, लीना धारिया, श्रीमती अनामिका चक्रवर्ती,
वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार मृत्युंजय सोनी, बीरेंद्र श्रीवास्तव, सतीश उपाध्याय, गौरव अग्रवाल,
संतोष जैन , रुद्रनारायण मिश्रा, योगेश गुप्ता, ताहिर आजमी, नरेंद्र श्रीवास्तव सुप्रसिद्ध कहानीकार नेसार नाज, देवेंद्र तिवारी, एस के रूप एवंसम्यक क्रांति के संपादक दुष्यंत कुमार रूप की उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की
राजेश सिन्हा
खबर जागरण न्यूज़