
कौन कर रहा चावल का काला बाजारी: राशन दुकानदार या कार्डधारी ?
एमसीबी:- प्रधानमंत्री ने पांच साल तक पूरे भारत में चावल निशुल्क कर दिया है, ताकि कोई गरीब भूखा न रहे। इसके साथ ही, उचित मूल्य दुकानों से कालाबाजारी रोकने के लिए सभी राशन कार्डों को आधार कार्ड से जोड़ते हुए ePOS मशीन में थम्स से खाद्यान्न सामग्री का वितरण सुनिश्चित किया जा रहा है।
जहां आधार से जोड़ने के बाद लाखों राशन कार्ड पूरे भारत में गायब हो गए हैं, वहीं पोस मशीन से अंगूठे की पहचान के जरिए राशन वितरण करने से कालाबाजारी रोकने में सरकार सफल हुई है।
छत्तीसगढ़ में, कांग्रेस सरकार ने APL (Above Poverty Line) राशन कार्ड बनवाया है, जिससे गरीबी रेखा से ऊपर के लोग भी ₹10 प्रति किलो चावल आसानी से राशन दुकानों से प्राप्त कर सकते हैं। यह चावल बाजार भाव से सस्ते दामों पर उपलब्ध होता है, जिससे चावल की उठान और बिक्री बढ़ गई है।
कौन कर रहा है कालाबाजारी ?
अब सवाल यह उठता है कि जब दुकानदार ePOS मशीन में कार्डधारियों का अंगूठा लगवाकर राशन वितरण कर रहा है, तो कालाबाजारी कैसे और कौन कर रहा है? इसके जवाब में साफ है कि APL राशन कार्डधारी, जो खुद चावल का उपभोग नहीं करते, वे चावल उठाने के बाद इसे बाजार में 24 से 25 रुपये प्रति किलो के भाव पर बेच देते हैं। इस तरह, जो लोग चावल का उपभोग नहीं करते, वे भी कालाबाजारी में शामिल हो जाते हैं।
सरकार को चाहिए कि वह फिर से एक सर्वे कराए और केवल उन लोगों का राशन कार्ड बनाए, जो वास्तव में चावल का उपयोग खाने के लिए करते हैं, न कि बाजार में बेचने के लिए।
ePos से वजन मशीन अटैच होने से राशन दुकानदार को हो रहा नुकसान
जब से राशन दुकानों में पोस मशीन से वजन मशीन अटैच हुई है, तब से दुकानदारों को खाद्यान्न सामग्री की कमी का सामना करना पड़ रहा है। चावल की दो बार एंट्री करने और दो बार तौलने की प्रक्रिया में चावल के बोरे फट जाते हैं और चावल गिरता है, जिससे हर महीने के अंत तक 50 किलो से भी ज्यादा की कमी हो जाती है। इस कमी की भरपाई दुकानदार नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनका नुकसान हो रहा है।
इस स्थिति में, सरकार और प्रशासन को तत्काल ध्यान देना चाहिए, ताकि इस समस्या का समाधान हो सके और कालाबाजारी पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके।