
भारत: सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य
प्रशासन एस. मलतियार की कलम से
पिछले एक दशक में भारत ने तेज़ी से परिवर्तन का अनुभव किया है। इस बदलाव ने समाज, राजनीति और आर्थिक संरचना पर गहरा प्रभाव डाला है।
आर्थिक परिदृश्य
भारत की GDP में वृद्धि हुई है, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में उछाल आया है, और तकनीकी क्रांतियाँ हुई हैं। लेकिन आर्थिक विषमता भी बढ़ी है, और मध्यम और निम्न वर्ग महँगाई, बेरोज़गारी और अस्थिर नौकरी व्यवस्था से जूझते रहे हैं।
राजनीतिक परिदृश्य
राजनीतिक रूप से भारत ने एक स्थायित्व का अनुभव किया है, लेकिन सत्ता का केंद्रीकरण बढ़ा है, और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर सवाल उठे हैं। असहमति की जगह सिकुड़ी है, और विरोध का मतलब अक्सर ‘राष्ट्रविरोध’ बना दिया गया है।
सामाजिक परिदृश्य
भारत की सामाजिक विविधता इसकी ताकत रही है, लेकिन पिछले 10 साल में पहचान आधारित राजनीति को गहराई मिली है। लव जिहाद, मॉब लिंचिंग, धार्मिक ध्रुवीकरण और इतिहास की पुनर्व्याख्या जैसे मुद्दों ने समाज में खाई पैदा की है।
मीडिया और अभिव्यक्ति की आज़ादी
मुख्यधारा मीडिया का बड़ा हिस्सा सरकार समर्थक बन गया है, और स्वतंत्र पत्रकारिता पर हमले बढ़े हैं। लेकिन डिजिटल स्पेस ने नए विकल्प खोले हैं – पॉडकास्ट, स्वतंत्र यूट्यूब चैनल्स और सोशल मीडिया पर वैकल्पिक आवाज़ें उभरी हैं।
निष्कर्ष
भारत को आज अपनी मूल आत्मा को संजोने की ज़रूरत है – ताकि हम सिर्फ़ एक ‘महाशक्ति’ नहीं, बल्कि एक न्यायप्रिय, समतामूलक और संवेदनशील राष्ट्र बन सकें।
राजेश सिन्हा 8319654988