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सही कहा है किसी ने बूढ़े बच्चे एक समान
जैसे एक छोटे बच्चों को उंगली पकड़ के चलाया जाता है उसको सहारा दिया जाता है उसके मां-बाप के द्वारा फिर बुढ़ापे में वही मां-बाप को जिसने अपने बच्चों को सहारा देकर चलना सिखाया उन्हें खुद सहारे की जरूरत पड़ जाती है चलने के लिए एक भी कदम लेने के लिए ,पर बच्चे हाथ पकड़ने के लिए भी मना कर देते हैं ,भूल जाते हैं कि जब वह छोटे थे अगर उसे समय अगर मां-बाप ने उनका हाथ पकड़ कर चलने के लिए मना कर दिया होता तब क्या आज वह चल पाते नहीं ना ,आज जब उनको आपके हाथ की जरूरत है आपके सहारे की जरूरत है तो उनको सहारा दीजिए हर कदम पर उनके साथ चलिए क्योंकि जब आप छोटे थे जब आपके सहारे की जरूरत थी साथ की जरूरत थी तब उन्होंने हर कदम पर आपका साथ दिया है।
यह वही मां-बाप है जो आपकी अनकही बातों को भी समझ जाया करते थे और आज जब वह साफ-साफ भी कहते हैं,तो भी हम बच्चे अनजाने बन जाते हैं, ना समझ बन जाते हैं समझते ही नहीं ऐसे बनते हैं कि जैसे हमें समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या बोलना चाह रहे हैं।
यह वही मां-बाप है जिन्होंने आपको बोलना सिखाया ,तरसते थे आपके मुंह से एक शब्द सुनने के लिए और आज हम उनसे बोलते हैं चुप रहो मुंह बंद करके रहो एक शब्द मत बोलना चुपचाप रहा करो इतना बोलते हो, जो हमारे मुंह से आवाज सुनने को तरसते थे कि कम से कम एक शब्द बोले और जिन्होंने बोलना सिखाया आज हम उनको चुप रहना सिखा देते हैं ।बेचारे बोलना चाहते हैं पर अपने बच्चों के डर के कारण बोल नहीं पाते, दिल की बात दिल में रख लेते हैं और हम जब छोटे थे तब वे हमारे मन की बात भी चुपचाप जान लिया करते थे हमारे बिना बोले, हमारे बिना मांगे ही हमें सब कुछ मिल जाता था जो हम चाहते थे।आज उनके बोलने पर भी हम उनको कुछ नहीं देते,पता है इंसान कहीं नहीं हारता किसी से नहीं हारता ,वह सिर्फ अपने बच्चों से हार जाता है अपनी औलादों से हार जाता है।जब उनकी ही औलाद उनकी नहीं सुनते,ऐसे जवाब देते हैं, उनको दुख पहुंचाते है उनको रुलाते है, हम पूरी दुनिया से लड़ सकते हैं पर अपने बच्चों से नहीं,हम किसी की नहीं सुन सकते पर हमें अपने बच्चों से ही सुनना पड़ता है।और सुनकर चुप हो जाते हैं ।जब हम बच्चे थे तो हमको समझ कम थी,हम एक बात को 10 बार पूछते थे और हमारे मां बाप हमको 10 बार समझाते थे उन्होंने कभी भी उसे बात को बोझ भी नहीं समझा उनको गुस्सा भी नहीं आया इरिटेट भी नहीं हुए , कि क्या एक बात को 10 बार पूछता है बच्चा 10 बार ही समझाते थे जितनी बार आप पूछेंगे उतनी बार समझाएंगे ,पर जब आज मां-बाप आपसे कोई एक बात को दो बार पूछ लेते है, तो हम बच्चे ही बोलते हैं एक बार में समझ में नहीं आता क्या वह क्या बोल रहा है समझाना पड़ेगा आपको इतने बड़े हो,समझना चाहिए। बच्चा सीख रहा होता है ,बूढ़े सीख चुके होते हैं। बच्चा अनुभव ले रहा होता है, बूढ़े अनुभव ले चुके होते हैं ।बस अपने बच्चों को समझदार बनाते-बनाते बेचारे थोड़े से नासमझ हो जाते हैं उम्र के साथ-साथ ।और वही बच्चे जिनको उनके मां-बाप ने समझदार बनाया वही अपने मां-बाप से बोलते हैं छोड़ो आप नहीं समझोगे जब कोई बात पता नहीं होती है तो बीच में क्यों बोलते हो बच्चों को कभी यह नहीं बोलना चाहिए कि वह भी कभी बूढ़े होंगे और उनके बच्चे भी उनसे ऐसे ही बात करेंगे जैसे कि आज आप अपने मां-बाप से बात कर रहे हो । कर्मों का खेल है लौट कर तो जरूर आता है इसलिए हमेशा अपने मां-बाप की इज्जत करें और दूसरों को भी इज्जत करने से ही बात करने दे।अपने मां-बाप को ना कभी खुद गलत बोले ना किसी को कभी गलत बोलने दे। हर मां-बाप अपने बच्चों के लिए दुनिया से लड़ देता है तो क्या बच्चे मां-बाप के लिए दुनिया से नहीं लड़ सकते। कोई भी मां-बाप अपने बच्चों के लिए एक भी शब्द किसी के मुंह से नहीं सुन सकते ,तो बच्चे कैसे किसी के मुंह से अपने मां-बाप के लिए कुछ भी सुन लेंगे।हमेशा अपने मां बाप को इज्जत दो और सामने वाले से भी इज्जत करवाओ ।एक बात याद रखना मां बाप के सिवा कोई भी आपका सगा नहीं हो सकता ।मां बाप के सिवा कोई भी आपका अच्छा नहीं चाह सकता । निस्वार्थ प्रेम सिर्फ मां बाप का ही होता है,वही है जो आपको हमेशा आगे बढ़ता देखना चाहेंगे। बाकी दुनिया का हर काम के पीछे आपसे कोई न कोई स्वार्थ छुपा होगा बदले में उन्हें आपसे कुछ न कुछ जरूर चाहिए होगा। जितनी कुर्बानियां जितने सैक्रिफाइस (त्याग)मां-बाप ने अपने बच्चों के लिए किए होंगे उतना कोई नहीं कर सकता ।हमारे बूढ़े मां-बाप को हमसे कुछ नहीं चाहिए सिर्फ इतना चाहिए कि हम उनसे प्यार से इज्जत से बात करें , उनको समय दें उनकी सुने थोड़ा ,हो सके तो उनका मन का करें ,उनके साथ समय व्यतीत करें उनको इज्जत के दो बोल बोले।
मां अपने बच्चों को चार बार पांच बार छह बार भी बुलाएगी तो भी यह नहीं बोलेगी कि सुनाई नहीं देता क्या कितनी बार बुला रही हूं,पर बच्चे जब मां-बाप को आवाज देते हैं और मां-बाप नहीं सुन पाते तो बच्चे बोलते हैं सुनाई नहीं देता क्या बहरे हो क्या इतनी देर से आवाज दे रही हूं,जब आप खुद अपने लिए ऊंची आवाज में नहीं सुन सकते तो आप अपने मां-बाप से ऊंची आवाज में कैसे बात कर सकते हो।आज आप अपने मां-बाप को प्यार दोगे इज्जत दोगे समय दोगे उनकी सुनोगे तो आगे चलकर आपके बच्चे भी आपको समय देंगे आपके साथ समय व्यतीत करेंगे आपको इज्जत देंगे आपकी बात को रखेंगे आपकी बात को इज्जत देंगे।
जब हम छोटे थे हमारी तबीयत खराब होती थी हमें बुखार आता था हमें सर्दी खांसी होती थी रात रात भर हम जागते थे,हमारे साथ में हमारे मां-बाप जागते थे,हमें एक सेकंड के लिए भी अकेला नहीं छोड़ते थे,रात भर पट्टी करते रहते थे खांसी की दवाई देते रहते थे भरी गर्मी में सोएंगे पर पंखा चालू नहीं करेंगे क्योंकि बच्चे को बुखार है, पर वही बच्चे आज उन्हीं मां बाप से बोलते हैं अगर आपको ऐसी(Ac )नहीं चाहिए, आप बाहर जाकर सो जाओ दूसरे कमरे में, हम बिना इसी के नहीं सो सकते हमें पंखा चालू करना ही है ,की दवाई रखी है खालो ना खांसी आ रही है तो, आपके हाथ में देंगे दवाई इतना मत उम्मीद करना मुझसे। जब आप रात रात भर जागते थे खेलते थे आपको नींद नहीं आती थी आपके साथ वह भी जागते थे बच्चा नहीं सोया तो हम कैसे सो जाएं ,जब वह सोएगा तो ही तो हम सोएंगे।
आज बेचारे मां-बाप अगर रात में जाग रहे हैं तो बच्चे दरवाजे बंद करके सो जाते हैं बोलते हैं आप तो बूढ़े हो गए हो आपको नींद नहीं आती पर हम लोग को तो आती है हम लोगों को सुबह काम पर जाना है हम लोग सो रहे हैं यह डिस्टर्ब मत करो, तब वह मां-बाप वह दिन याद करते होंगे आप 3:00 बजे तक 4:00 बजे तक जागते थे और उनको भी सुबह ऑफिस जाना होता था पर वह अपने बच्चों के लिए जागते थे भले ही 1 घंटे सो के तुरंत ऑफिस जाएंगे पर आपके साथ रहते थे जागते थे आपको समय देते थे खेलते थे आपके साथ रात भर।
जब आप बच्चे थे आपके मां-बाप आपके साथ बच्चे जैसा ही व्यवहार करते थे ,खुद बच्चे बन जाते थे, कि आप खुश रहेंगे आप मिक्स होंगे उनके साथ में, आज जब वह बूढ़े हैं तो आप उनके साथ बच्चे बन जाइए एकदम क्योंकि बूढ़े बच्चे एक समान होते हैं उनका मन एकदम बच्चे जैसा रहता है एक बात को 10 बार बोलना, उनको तब भी लगता है कोई सुन ले मेरी तो आप एक बात को 10 बार सुनिए पर सुनिए ,आप उनके साथ में एकदम बच्चे जैसे हो जाइए की हां हम सुन रहे हैं आपकी।जब आप छोटे थे आपको हर कदम में अपने मां बाप की जरूरत रहती थी आज वे बूढ़े हो गए है ,आज उनको आपकी आपके साथ की आपके समय की जरूरत है, उनका सहारा बनाए,उनका साथ दीजिए उनको खुश रखिए उनके चेहरे में मुस्कान बनाए रखने जो बन सकता है करें, जानते है उनकी खुशी सिर्फ और सिर्फ आपके दिए प्यार में इज्जत में है जो आप उनको दो पल के लिए देते हैं बस।उन्होंने आपको अपनी पूरी जिंदगी दे दी,आप उनको बस इतना तो दे ही सकते हैं।
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राजेश सिन्हा