साहित्यकार राकेश का सम्मान समारोह आयोजित
हमेशा से मेरी चिंता रही है कि साहित्य और रचनाओं से आमजन को कैसे जोड़ा जाए. साहित्य को आम जनता तक पहुंचाने के लिए नए नए प्रयोग समय के अनुसार होते रहे हैं. आज मैं याद कर रहा हूं मई 1980 का हजारी चौक जहां
संबोधन साहित्य एवं कला परिषद मनेंद्रगढ़ द्वारा इस अंचल में पहला नुक्कड़ नाटक ऑन ड्यूटी की प्रस्तुति दी गई थी. जिसमें मैंने मदारी के जमूरे के रूप में कार्य किया था. अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिए इस विधा का प्रयोग उस समय बिलासपुर, सरगुजा, एवं शहडोल के जिलों में पहली बार मनेंद्रगढ़ में किया गया था. इस संस्था द्वारा पोस्टर पर लिखी
कविता चौराहे पर लोगों को कविताओं से जोड़ने का कार्य प्रारंभ हो चुका था. जो कभी-कभी हजारी चौक में लगाया जाता था. इसमें अदम गोंडवी की एक कविता *काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में,
उतरा है रामराज्य, विधायक निवास में* काफी चर्चा का विषय रही है. रोजी रोटी के प्रयास ने मुझे मुंगेली स्थापित कर दिया. तीन दशक से लगातार मुंगेली के देवांगन चौक पर *कविता चौराहे पर* पोस्टर के माध्यम से आम लोगों तक साहित्य को पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बन गया. मीडिया के प्रचार-प्रसार से इसका विस्तार आज राष्ट्रीय स्तर पर हो चुका है और छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में कविता चौराहे पर आज रचनाकारों की प्रथम पहुंच में शामिल हो गई है. नए रचनाकारों को भी प्रस्तुति के लिए एक सशक्त मंच बन कर उभरा है
उपरोक्त विचार मुंगेली के वरिष्ठ साहित्यकार राकेश गुप्ता “निर्मल” ने वन माली सृजन केंद्र कोरिया द्वारा आयोजित अपने सम्मान समारोह के मंच से व्यक्त किए।
नई सब्जी मंडी रोड निदान सभागार मनेंद्रगढ़ में वनमाली सृजन केंद्र कोरिया द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में वरिष्ठ रचनाकार श्री गंगा प्रसाद मिश्र एवं संस्था संयोजक बीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने शाल श्रीफल के साथ उनका सम्मान किया.. इस अवसर पर आयोजित परिचय संगोष्ठी में वीरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि राकेश जी ने इस बात को साबित कर दिया कि कोई भी कार्य मन लगाकर निरंतर किया जाए तब उसमें सफलता जरूर मिलती है. मुंगेली में प्रत्येक सप्ताह के लिए साहित्यकारों की अग्रिम रचना पहुंचना कविता चौराहे पर अभियान की सफलता का प्रतीक है. राकेश गुप्ता ने अपनी 4 पंक्तियों के साथ अपना परिचय दिया कि महंगा है राजमार्ग, क्योंकि करोड़ों की लागत से बना है।
श्रीमान दुर्दशा पर चिंतित मत होइए, अति शीघ्र जीर्णोद्धार की भी योजना है. इसी तरह दूसरी रचना कम लिख लेकिन दम लिख, व्यवस्था की चापलूसी नहीं उसके अहम लिख. इंसानियत जिंदा रहेगी ,अगर मैं की जगह हम लिख. ने उपस्थित जन समुदाय की तालियां बटोरी. इस अवसर पर उपस्थित रचनाकारों मैं सतीश द्विवेदी, गौरव अग्रवाल, संतोष जैन, गंगा प्रसाद मिश्र, विजय कुमार गुप्ता, नरेंद्र श्रीवास्तव, वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, श्रीमती सुषमा श्रीवास्तव, श्रीमती वर्षा श्रीवास्तव, ने अपने गीत एवं कविता प्रस्तुति से परिचय एवं सम्मान समारोह कार्यक्रम को ऊंचाइयां दी.
राजेश सिन्हा