
समेकित कृषि प्रणाली विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला संपन्न
महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, चौकमाफी, गोरखपुर। महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, चौकमाफी, गोरखपुर में तीन दिवसीय समेकित कृषि प्रणाली विषय पर कार्यशाला संपन्न हुई । प्रशिक्षण में विशेषज्ञो द्वारा समेकित कृषि प्रणाली से जुड़े पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुपालन वैज्ञानिक एवं केंद्र के अध्यक्ष डॉ विवेक प्रताप सिंह ने बताया कि समेकित कृषि प्रणाली खेती की आधुनिक तकनीक है। इस तकनीक में खेती के साथ-साथ बागवानी, पशुपालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाता है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। आसान भाषा कहें तो समेकित कृषि में खेती के सभी घटकों को शामिल किया जाता है। जिससे किसानों को सालभर आमदनी होती रहती है। मुख्य फसल के साथ-साथ मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, सब्जी-फल, मशरूम की खेती को एक साथ एक ही जमीन पर करते हैं। इसमें एक घटक दूसरे घटक के उपयोग में लाया जाता है जिससे किसान अपने एक फसल पर निर्भरता कम कर अथवा उसके घाटे की संभावनाओं को भी कम कर सकते हैं। मृदा वैज्ञानिक डॉ संदीप प्रकाश उपाध्याय ने प्राकृतिक खेती, वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन एवम मशरूम उत्पादन के बारे में बताया कि इनसे मृदा स्वास्थ्य एवम आय सृजन किया जा सकता है । उद्यान वैज्ञानिक डॉ अजीत कुमार श्रीवास्तव ने पुष्प उत्पादन के द्वारा आय अर्जन के तरीकों को बताया। सस्य वैज्ञानिक श्री अवनीश कुमार सिंह ने बताया कि भारत में कृषि योग्य भूमि के औसत आकार में निरंतर गिरावट आ रही है, जो एक खतरे का संकेत है| छोटे किसान खेती से होने वाले आय से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाने में असमर्थ हैं| गृह वैज्ञानिक श्रीमती श्वेता सिंह ने बताया कि आकड़ों के अनुसार भारत की आधी से ज्यादा जनसख्या निर्धन है, यह स्थिति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है, क्योंकि किसी ना किसी वर्ष मानसून की अनिश्चितता रहती हैं अतः समेकित कृषि प्रणाली से टिकाऊ कृषि किया जा सकता है । कार्यक्रम के समापन सत्र में युवा किसानों को डॉ संजय सिंह, महानिदेशक, उपकार लखनऊ द्वारा प्रमाणपत्र वितरित किया गया। कार्यक्रम में श्री जितेंद्र कुमार सिंह, श्री गौरव सिंह सहित 15 युवा कृषक उपस्थित रहे।
राजेश सिन्हा