एक लाख प्रदेश की बहू, बेटी, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा गरीबी रेखा से नीचे समाज के सबसे कमजोर महिला आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बैठी है सड़क पर।
छत्तीसगढ़ में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका 30 दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रही है जहां उनकी उम्मीद है। 20 फरवरी को कैबिनेट बैठक में थी लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के बारे में कुछ विचार ना करना आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को निराश हाथ लगी जहां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका संयुक्त मंच छत्तीसगढ़ के प्रांतीय संयोजक मंडल सरिता पाठक रायपुर, रुकमणी सज्जन बस्तर, हेमा भारती अभनपुर, गजेंद्र झा, संतोषी वर्मा राजनंदगांव, पिंकी ठाकुर खैरागढ़, कल्पना चंद पखांजूर, पार्वती यादव कबीरधाम, सुचिता मानिकपुरी कटघोरा, द्वारा संयुक्त विज्ञप्ति जारी कर या दावा किया गया कि शासन की हठधर्मिता के कारण आज महिला बाल विकास विभाग का सभी कार्य 23 जनवरी से ठप है ।सभी आंगनवाड़ी केंद्र में ताला लटका हुआ है, शासन द्वारा वार्ता को तैयार नहीं बल्कि दमन की कार्यवाही करते हुए 48 घंटे के अंदर काम में वापसी का 13 जनवरी को ही दमनकारी आदेश निकालकर शांति पूर्वक चल रहे आंदोलन को कुचलना चाहती है।