
गोलियों के बीच साधा अपना लक्ष पहली बार लगी थी असफलता दूसरी प्रयास में पहले रैंक आईपीएस चुनी गई आईएएस बनाने का था जुनून
कोरिया छत्तीसगढ़//बचपन में जब बस्तर के गीदम थाने के चारों ओर नक्सलियों को अंधाधुंध गोलियां चलाते देखा तो नम्रता के मन में एक सवाल उठा क्या नक्सली अपनी विचारधारा को नहीं छोड़ सकते ? और उस सवाल का जवाब उसे कुछ यूं मिला कि अगर लोगों की सोच को बदलना है तो समाज में बदलाव करना होगा और समाज में बदलाव करने के लिए प्रशासनिक शक्तियों का होना जरूरी है। बस फिर क्या था नम्रता के मन में आईएएस बनने का जुनून सवार हो गया और उसने अपने इस सपने को पूरा करने खूब मेहनत की। पहली बार सिविल सेवा की परीक्षा में असफलता हाथ लगी, दूसरे प्रयास में पहले रैंक में आईपीएस चुनी गई पर नम्रता के मन में तो कुछ और ही चल रहा था ट्रेनिंग के दौरान उसने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार वह आईएएस बनने कामयाब हो गई। देशभर में 12 वे रैंक पर रही नम्रता बस्तर संभाग की पहली महिला है जिसने यूपीएससी परीक्षा पास कर इस मुकाम को हासिल किया है। नम्रता का मानना है कि अगर हम समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति का विकास करेंगे तो वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ कर अपने जीवन को आसानी से बदल सकेंगे। आज नम्रता कोरिया जिले में जिला पंचायत सीईओ के पद पर पदस्थ है। नम्रता के परिवार में कोई भी शासकीय सेवा में नही है। व्यवसायी परिवार से आने के बावजूद उसने सिविल सेवा को ही चुना। समाज में बदलाव लाने प्रशासनिक तौर तरीकों से कई ऐसे कार्य किए जिसमें न सिर्फ लोगों को फायदा मिला बल्कि महिलाओं को विशेष कर आत्मनिर्भर बनने की राह भी मिली। महिला दिवस पर देखिये देश के सबसे अधिक नक्सल प्रभवित व कम साक्षरता वाले जिले से आईएएस बनने वाली नम्रता जैन की।


समाज मे हो रही खर्चीली शादियों को रोकने के लिए नम्रता ने बड़ा सन्देश दिया है। नम्रता ने अपने आईपीएस पति वर्तमान में दुर्ग भिलाई में सीएसपी के पद पर पदस्थ निखिल रखेचा से महासमुंद कोर्ट में विवाह कर शादियों में होने वाले फिजूलखर्ची को रोकने का संदेश दिया। इसके बाद कोरिया जिला में एक टीबी मरीज को गोद लेकर भी उन्होंने समाज सेवा का बड़ा काम किया है।
नम्रता बताती है कि मैंने 2015 में पहली बार यूपीएससी का एग्जाम दिया था। लेकिन मैं प्री ही नही निकल पाई थी। 2016 में फिर एग्जाम दिया और इस परीक्षा में 99 रैंक हासिल हुई और आईपीएस में नम्बर 1 रैंक पर रही। लेकिन इस बार आईएएस नहीं मध्य प्रदेश कैडर की आईपीएस बनी थीं। बचपन से आईएएस बनने का सपना देखा था। हैदराबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल नेशनल पुलिस अकैडमी में ट्रेनिंग करती थीं, तब ट्रेनिंग के साथ यूपीएससी की तैयारी भी करती थीं। 2018 में तीसरी बार यूपीएससी का एग्जाम दिया और 12 वी रैंक मिली टॉप 5 आईएएस में जगह बनाई, महामहिम राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन बुलाकर सम्मानित भी किया।
संपादक – राजेश सिन्हा