ऐतिहासिक महत्व के स्थल गुरुकुल सेनेटोरियम परिसर के हरे भरे वृक्षों की कटाई से नागरिकों में रोष
नागरिकों ने एनजीटी में किया ऑनलाइन शिकायत
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने यहीं अपनी पत्नी का इलाज कराया था
400 साल पुराने जिस बरगद के नीचे बैठकर गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर अपनी रचनाएं लिखा करते थे उस बरगद को काटने की अनुमति भी प्रशासन ने दे दी।
ऐतिहासिक महत्व का स्थल गुरुकुल सेनेटोरियम परिसर जहां कभी गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर अपनी पत्नी के इलाज के लिए ठहरे थे उस स्थल के हरे भरे वृक्षों को जिले के कंपोजिट बिल्डिंग के निर्माण के लिए काटे जा रहे हैं, जबकि जिले में बहुत से ऐसे स्थान हैं जहां एक भी वृक्ष की कटाई किए बिना जिला कार्यालय बनाया जा सकता है। यह वही स्थान है जिसकी महत्ता का उल्लेख मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पेण्ड्रा के दौरे में 19 जून को किया था। वहीं विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत भी इस जगह की महत्ता को हमेशा अपने संबोधन में बताते रहते हैं। 400 साल पुराने जिस बरगद के नीचे बैठकर गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर अपनी रचनाएं लिखा करते थे उस बरगद को काटने की अनुमति भी प्रशासन ने दे दी है जो कि जल्द ही काट दी जाएगी।
जिला कार्यालय भवन के लिए हरे भरे वृक्षों की बलि चढ़ाई जा रही है। यह वृक्ष 200 से 400 साल वर्ष पुराने हैं। इनमें कम से कम 400 साल पुराना बरगद का पेड़ भी है जो कि जिला कार्यालय की बलि चढ़ने वाला है क्योंकि उसको काटने की अनुमति भी प्रशासन ने दे दी है। हरे भरे औषधीय महत्व के विशाल हर्रा बहेरा के वृक्षों की कटाई भी की जा रही है जबकि इन वृक्षों का बहुत अधिक औषधीय महत्व है।
हरे भरे वृक्षों की कटाई से पेण्ड्रा के नागरिकों में आक्रोश है। नागरिक इसका विरोध कर रहे हैं और एनजीटी में भी शिकायत दर्ज करा रहे हैं क्योंकि जिला कार्यालय बनाने के लिए जिले में ऐसे बहुत से शासकीय भूमि खाली पड़े हुए हैं जहां एक भी हरे-भरे वृक्ष को काटे बिना जिला कार्यालय बनाया जा सकता है उसके बावजूद भी ऐसे स्थान का चयन क्यों किया गया जहां पर हरे भरे वृक्षों की बलि चढ़ाई जा रही है।
बता दें कि जिस स्थल पर वृक्ष कटाई चल रही है वह गुरुकुल विद्यालय सेनेटोरियम परिसर है, जिसका अपना ऐतिहासिक महत्व रहा है। जहां प्राकृतिक हरियाली और अच्छे जलवायु आबोहवा के कारण यहां दूर-दूर से लोग इलाज कराने आया करते थे। नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर भी अपनी पत्नी का टीबी का इलाज कराने इसी सेनेटोरियम अस्पताल में आए थे जहां के आसपास के वृक्षों की कटाई की जा रही है।
8 वृक्षों को काटने की अनुमति एसडीएम ने दी है
बरगद, बहेरा, आम, इमली के 8 वृक्षों को काटने की अनुमति पेण्ड्रारोड के एसडीएम ने पीडब्ल्यूडी के एसडीओ को दिया है, जिसके बाद हरे भरे वृक्षों की कटाई शुरु कर दी गई है। मौके पर 8 से कहीं ज्यादा पेड़ काट दिए गए हैं, वहीं 400 साल पुराने उस बरगद को भी काटने की तैयारी है जिसके बारे में कहा जाता है कि इस वृक्ष के नीचे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर बैठा करते थे।
विरोध के डर से वन विभाग की गाड़ी से कटे वृक्षों की ढुलाई की जा रही है
हरे भरे वृक्षों की कटाई की सर्वत्र निंदा हो रही है इसलिए विरोध के डर से वन विभाग की गाड़ी लगाकर काटे गए वृक्षों की धुलाई युद्ध स्तर पर की जा रही है साथ ही मौके से छूट को भी उखाड़ने की तैयारी है जिससे कि लोग इन वृक्षों के टूट भी न खो जाएं। वन विभाग की गाड़ी में लकड़ी लोड हो रही है लेकिन इसके बावजूद भी मरवाही वन मण्डल के डीएफओ सत्यदेव शर्मा ने गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा है कि उन्हें पेड़ कटाई की जानकारी नहीं है।
नागरिकों का आरोप है कि यहां अधिकारी कुछ दिन के लिए आते है, फिर चले जाते है, उनको यहाँ रहना तो है नहीं इसलिए बेदर्दी से पेड़ कटवा रहे हैं।
बॉक्स मेटर
पेंड्रा के नागरिकों ने कम्पोजिट बिल्डिंग के निर्माण के लिए पेड़ो की कटाई रोकने के लिए अनोखा विरोध प्रदर्शन किया है, स्थानीय निवासियों ने कलेक्टर ऑफिस के पास काटे जा रहे पेड़ों को कफन ओढ़ाकर विरोध दर्ज किया है, आपको बता दें कि नए कंपोजिट भवन के निर्माण के लिए अब तक 11 पेड़ काटे जा चुके है, गुरुकुल परिसर की हरियाली बनाये रखने अन्य पेड़ों को रक्षा सूत्र बांधकर बचाने की पेंड्रा के समाज सेवियों ने अपील की है..