बरसात में पशुपालक भाई इन बातों पर विशेष ध्यान दें: डॉ विवेक
गोरखपुर पीपीगंज बरसात का मौसम शुरू हो गया है इस मौसम में अन्य मौसम की अपेक्षा पशुओं में रोग एवं बीमारी लगने की संभावना बढ़ जाती है। बरसात के मौसम में पशुओं में अन्तः एवं वाह्य परजीवीयों की समस्या प्रमुख हैं । जिसके कारण पशु का स्वास्थ्य एवं उत्पादन दोनों प्रभावित होता है। बरसात के मौसम में पशुओं में गलघोटू जैसी घातक बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है जिसके होने से पशुओं की मृत्यु तक हो जाती है जिससे पशुपालकों को आर्थिक क्षति पहुचती है । महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र चौकमाफी पीपीगंज गोरखपुर के विशेषज्ञ पशुपालन डॉ विवेक प्रताप सिंह बताते हैं कि पशुशाला के अंदर मल,मूत्र,गोबर, कीचड़,नमी,तापमान में कमी जीवाणुओं की संख्या बढ़ने से पशुओ में विभिन्न संक्रामक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है इसलिये किसान भाइयो से विशेष आग्रह है की इस मौसम में पशुशाला में स्व्च्छता का विशेष ध्यान रखे एवं निम्न बातो पर ध्यान दें-
1. यदि पशुओं को गलघोटू, खुर पका मुह पका तथा लंगडी बुखार का टीका न लगा हो तो उसे अवश्य लगवाए
2. वर्षा जनित रोगों से बचाव के उपाय नहीं भूले अंतः परजीवी व कृमि नाशक घोल या दवा देने का सही समय भी यही है
3. वर्षा ऋतु में पशुओं के रहने की समुचित व्यवस्था करें
4. पशु ब्यांने के दो घंटे के अंदर नवजात बछड़े व बछड़ियों को खीस अवश्य पिलाएं
5. पशुओं को 50 ग्राम खनिज मिश्रण एवं 20 ग्राम नमक प्रतिदिन खिलाए
ज्यादा दूध देने वाले पशुओं के ब्याने के 7-8 दिन तक दुग्ध ज्वर होने की संभावना अधिक होती है। इस रोग से पशुओं को बचाने के लिए उसे गाभिन अवस्था में उचित मात्रा में सूर्य की रोशनी मिलनी चाहिए। साथ ही गर्भावस्था के अंतिम माह में पशु चिकित्सक द्वारा लगाया जाने वाला विटामिन ई व सिलेनियम का टीका प्रसव उपरांत होने वाली कठिनाईयां, जैसे जेर का न गिरना इत्यादि में लाभदायक होता है, अत: पानी के साथ 5 से 10 ग्राम चूना मिलाकर या कैल्शियम, फास्फोरस का घोल 70 -100 मिलीलीटर प्रतिदिन दिया जा सकता है।