आज “शिक्षक दिवस” पे कुछ शब्द “शिक्षा व शिक्षक”के नाम
लेखिका – पूजा खरे
जो भी हम सीखते हैं, वो शिक्षा, और जो हमें सिखाते हैं, वो हमारे आदरणीय शिक्षक और जहाँ सीखते हैं वो है विधालय जहाँ हमें विद्या प्राप्त होती हैं!
“शिक्षा” के “अनेक नाम “और “विधालय” के “अनेक केंद्र” होते हैं!
हमारा सबसे पहला विधालय, हमारा घर जहाँ से हम सीखने की शुरुआत करते हैं, जहाँ हम हर छोटी से बड़ी चीज़े सीखते हैं, क्या करना चाहिए क्या नही ,कैसे करना चाहिए, कैसे बोलना चाहिए, अच्छा बोलना मीठा बोलना, सही गलत में फर्क करना, सबका आदर करना, बहुत कुछ , और ये सब हमारे माता पिता हमें सिखाते हैं,अच्छी आदतें सिखाना, अच्छी आदतों और बुरी आदतों में फर्क समझाना, क्योंकि ज्यादतर हमारा समय घर पे ही बीतता है! जो शिक्षा हम घर में प्राप्त करते है, उसे पूरे संसार में “संस्कार” के नाम से जाना जाता है!ये शिक्षा हमें सभ्यता सिखाती है, तभी तो लोग बोलते है यही संस्कार मिले हैं तुम्हें, यही सिखाया है माता पिता ने!
दूसरा विधालय जहाँ हमें हमारे आदरणीय गुरु जी पाठ्यक्रम की शिक्षा देते है, जिस शिक्षा को पाकर हम अपनी ज़िंदगी में कुछ कर पाते हैं, कुछ बन पाते है, अपना खुद का नाम बना पाते है दुनिया में, और ये मुमकिन है हमारे आदरणीय शिक्षक जी की वजह से, हमारे गुरु जी की कृपा से!
और तीसरी आखरी शिक्षक है हमारी दुनियाँ, यहाँ शिक्षक और विधालय दोनों एक ही है!ऐसा बहुत कुछ जो हम नहीं सीख पाए वो दुनियाँ ने सिखा दिया, जिस शिक्षा को हम दुनियाँदारी के नाम से जानते है! इस दुनियाँ ने हमें ऐसे ऐसे लोगों से मिलवाया है जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने मिला है! अच्छे बुरे में फर्क करना, दुनियाँ में कैसे जीवन व्यतीत करना है, कैसे लोगों को समझना है, किसपे विश्वास करना है किसपे नही, ये भी सिखाया कि सीधे सरल रहना है पर बेवकूफ नही वरना दुनियां आपको जीने नही देगी!दुनियाँ ने सिखाया कि दिलसे काम लो पर वक़्त पे दिमाग का भी इस्तमाल करो, वरना दिमाग से खेलने वाले, दिलवालों पे भारी पड़जाते है!
शिक्षा ऐसी चीज है जो जितना सीखो उतनी कम है, शिक्षा हमें मधुरता सिखाती है, शिक्षा हमें माहौल में खुद को घुलना मिलना सिखाती है, शिक्षा हमें आगे बढ़ना सिखाती है, शिक्षा हमें गलत शब्दो के प्रयोग से रोकती है, शिक्षा हमें लड़ाईयों से कोसो दूर रखती हैं, शिक्षा हमें, कहाँ बोलना कितना बोलना उचित है सिखाती है! असल मायने में बोला जाए तो शिक्षा हमें सरलता, मधुरता, सभ्यता, संस्कारी, विनम्रता, सज्जनता सिखाती है! शिक्षा हमें हर जगह जीत ही दिलवाती है, कहीं बोलके तो कहीं चुप रहके🙏 शिक्षा कभी व्यर्थ नही जाती, सीखा हुआ हमेशा काम जरूर आता है आज नही तो कल आता है! 🙏
हमारे” शिक्षक” और उनकी दी हुई “शिक्षा “को शत् शत् नमन
राजेश सिन्हा- 8319654988