नकारात्मकता को, नकारात्मक सोच से दिल और दिमाग से अलग करना होगा
नकारात्मकता है (स्लो पॉइज़न)
जैसा कि हम सब जानते हैं कि हर सोच के पीछे के दो पहलु होते हैं। पहला सकारात्मक दूसरा नकारात्मक। हम जब भी कोई नया कार्य आरंभ करते है ,तो लोगों की आलोचनायें और प्रशंसा दोनों सामने आती हैं। ये आश्चर्य की बात है कि हर मनुष्य के दिल को सबसे पहले और सबसे ज्यादा प्रभावित नकारात्मक बात ही करती हैं। जैसे की सामने वाले की आलोचनायें ।जो कि व्यक्ति के दिल मे घर कर जाती है, जिस के कारण उसके मन मे अवसाद, तनाव जैसी स्थिति जन्म ले लेती है। जो कि आगे चलकर एक बड़ा रूप धारण कर लेती हैं। जो कि अंदर ही अंदर आपके मन मे जहर जैसा काम करती हैं। इसीलिए नकारात्मकता को स्लो पॉइज़न कहना गलत नहीं होगा।
पर इस नकारात्मकता को, इस नकारात्मक सोच को हमें हमारे दिल और दिमाग से अलग करना होगा और इस के लिए हमें खुद मे सुधार लाने की जरूरत है। जिसके लिए सबसे पहला तरीका है कि हम खुद को समझे और खुद को समझाये। क्योंकि नकारात्मकता ऐसी स्थिति है जहाँ किसी का समझाना उतना असर नहीं करता जितना कि आपका खुद को समझाना।
कोई भी सामने वाला आपको कितना भी समझाएगा,
आपको जब तक समझ में नहीं आएगा, जब तक आप आपनी अंतर आत्मा को नहीं समझाते। क्यों कि जिस दिन आपने अपने आप को समझ लिया और समझा दिया, उस दिन से आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि कोई आपको गलत समझता है या सही। खुद की नज़रो मे सही रहना ज्यादा जरूरी है। आपको सारा ज्ञान पहले से ही है की आप सही कार्य कर रहें हैं या नहीं। फिर लोगों की आलोचनायें क्यों आपको प्रभावित करती है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप आलोचनाओं से न डरें, उनका सामना करें।
पर फिर भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आलोचनाओं का सामना करने से डरते हैं ,तो उनके लिए सबसे अच्छा और सफल तरीका है कि आप सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक लोगों के ही साथ उठें बैठें,उनके ही संपर्क में रहें, नकारात्मक लोगों का साथ तुरंत छोङ दीजिए। ऐसा करने से आधी नकारात्मकता आपके दिल से दूर हो जाएगी। उसके बाद आप सकारात्मक लोगों की सकारात्मक बातों पे ही बस ध्यान देना शुरू करदे, अपने दिल व दिमाग से नकारात्मक लोगों की बातों को एक दम हटा दीजिए, ये आपके लिए रामबाण का काम करेगा। अपना पूरा ध्यान अपने कार्य पर केंद्रित कीजिए और सफलता की ओर अग्रसित होते जाए और अपने जीवन में उन्नति पाने के लिए दिन प्रति दिन मेहनत पर मेहनत करते जाए।
पूजा खरे (लेखिका)