छत्तीसगढ़: सूचना आयुक्त की नियुक्ति में देरी से आरटीआई अधिनियम की धार कुंद, आवेदकों को हो रही समस्या
रायपुर:- राज्य सूचना आयोग में आयुक्तों की नियुक्ति न होने से छत्तीसगढ़ में सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत किए गए आवेदनों की सुनवाई में भारी देरी हो रही है। इसका असर आम जनता की सूचना पाने की अधिकार प्रक्रिया पर पड़ रहा है, जिससे भ्रष्टाचार और शासन-प्रशासन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य को झटका लग रहा है।
आवेदनों का बढ़ता बोझ, सुनवाई में देरी
सूचना अधिकार अधिनियम का मुख्य उद्देश्य शासन द्वारा किए गए कार्यों और खर्चों की जानकारी जनता तक पहुँचाना है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन जब यह जानकारी प्रथम अपील में नहीं मिलती, तो आवेदक को द्वितीय अपील करनी पड़ती है। छत्तीसगढ़ में इस वक्त सिर्फ दो सूचना आयुक्त नियुक्त हैं, जिससे अपीलों के निपटारे में देरी हो रही है। वर्तमान में द्वितीय अपील की सुनवाई एक से डेढ़ साल की देरी से हो रहा है, और निपटारा होने में तीन से चार वर्ष लग रहा है ,जो कि अधिनियम के उद्देश्यों के खिलाफ है।
पदों की कमी, जनता को नुकसान
सूचना आयोग में आयुक्तों की कमी के कारण आवेदकों को समय पर जानकारी नहीं मिल रही है, जिससे उनकी समस्याएं बढ़ रही हैं। कई मामलों में आरटीआई के तहत जो सूचना मांगी जाती है, उसका महत्व समय से जुड़ा होता है। जब सूचना देरी से मिलती है, तो उसका प्रभाव कमजोर हो जाता है। यह स्थिति न केवल आरटीआई की धार कुंद कर रही है, बल्कि शासन और प्रशासन की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करती है।
सरकार से नियुक्तियों में तेजी की मांग
इस स्थिति में राज्य सरकार को तत्काल सूचना आयुक्तों के खाली पदों को भरने पर ध्यान देना चाहिए। जब सूचना आयोग में सभी पद भरे होंगे, तभी आरटीआई के आवेदनों का समय पर निपटारा हो सकेगा और लोग सही समय पर जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इससे आरटीआई अधिनियम का सही उपयोग भी सुनिश्चित होगा, जो कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का प्रमुख साधन है।
सूचना आयोग की स्थिति पर नजर
छत्तीसगढ़ में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की स्थिति पर सरकार की नजर रहनी चाहिए, क्योंकि यह मुद्दा सीधे जनता से जुड़ा हुआ है। सही समय पर सूचनाएं मिलें, इसके लिए आयोग में जरूरी नियुक्तियों पर जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए। RTI अधिनियम का उद्देश्य तभी पूरा हो पाएगा, जब सूचना का अधिकार सुलभ और प्रभावी रहेगा।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में हो रही देरी ने सूचना अधिकार अधिनियम की प्रक्रिया को धीमा कर दिया है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाकर पारदर्शिता और सुशासन को बनाए रखने के लिए उचित संख्या में आयुक्तों की नियुक्ति जल्द करनी चाहिए, ताकि जनता को सही समय पर और प्रभावी ढंग से सूचना मिल सके।
राजेश सिन्हा ,8319654988