
आइए जानते है “संपत्ति” क्या और चल और अचल संपत्ति क्या होता है – पूजा खरे
“संपत्ति” क्या है। हम सभी को यही मालूम है कि संपत्ति चल और अचल होती है ।चल संपत्ति मतलब जिसे हम अपने साथ कहीं भी ले जा सकते है , जैसे वाहन, गहने। दूसरी संपत्ति अचल जो चल नहीं सकती स्थिर होती है ,जैसे मकान, ज़मीन।जब भी कोई पूछता है कि आपकी संपत्ति क्या क्या है, तब सभी बोलते है , दो,चार घर है, किलो भर सोना है , गाड़ी बंगला है ये है मेरी संपत्ति। पर क्या सच में यही है आपकी असली संपत्ति, वक्त गुजरने के साथ साथ शायद आपको समझ आजाएं कि आपकी असली संपत्ति ये चल अचल वाली नहीं , बल्कि वो अदृश्य वस्तु है जो आपको दिखती नहीं पर हर कदम में आपके साथ रहकर आपको मालामाल बना देती है, उसी से आप धनवान कहलाते है , आपके अंदर करोड़ों का आनंद देती है , और जब ये अदृश्य असली संपत्ति जब आपके पास नहीं होती तो ये अचल चल संपत्ति कुछ मायने ही नहीं रखती ।अब आप सोचेंगे कि ऐसी कौनसी चीज है जो एक तो दिखती नहीं , और जो दिखती नहीं उसका क्या वजूद, फिर भी करोड़ों का सुख देती है और तो और उसके सामने ये धन दौलत कुछ नहीं ऐसे कैसे, सब बकवास समझेंगे। पर नहीं ऐसा नहीं है जिस दिन आपको आपकी अदृश्य संपत्ति का मालूम होगा हर व्यक्ति इसी को करोड़ों में गिनेगा।
अब चलिए बता ही देते है वो कुछ पर बहुत मूल्यवान आपकी अदृश्य संपत्ति जो आपके अंदर ही बसी है, उस के लिए आपको कहीं बाहर नहीं झांकना पड़ेगा।
तो शुरू करते है आपकी सबसे पहली असली संपत्ति आपका और इस दुनिया का सबसे बड़ा और पहला सुख, पहली असली संपत्ति आपका स्वस्थ शरीर। अगर आपके पास ये संपत्ति नहीं तो यकीन मानिए ,जो लाखों करोड़ों के पीछे आप भागते है , वो कुछ काम की नहीं , जब स्वस्थ शरीर नहीं तो कैसे मजे लेंगे आप घूमने फिरने , खाने पीने और अपनों के साथ का। अगर आपके पास ये संपत्ति है तो हर कोई आपको पूछेगा और अगर ये सबसे कीमती सबसे मूल्यवान संपत्ति आपके पास नहीं,तो यकीन मानिए कोई आपको नहीं पूछेगा, “कड़वा” है पर “सच” है और आप तो जानते ही होंगे कि हमेशा “सच” “कड़वा” ही होता है।
अब आते है दूसरी बहुमूल्य असली संपत्ति वो है आपके अपनो का प्यार उनका साथ पर हां ध्यान रखिए जो सच में असल में आपके अपने हो उनका न कि जो अपनों का मुखौटा पहने हो। अपनों का प्यार, उनका आपके हर कदम पे साथ ही आपकी असली संपत्ति है। पर अक्सर हम वो दिखावे के रूपए पैसों के चक्कर में अपनी असली संपत्ति हमारे अपनों को ही लालच के कारण दर किनार कर देते है और पैसों को ही अपना सगा समझ बैठते है , पर भूलिए मत जब आप बीमार पड़ेंगे तब आपको रूपए पैसे अपने हाथ से पानी पिलाने या खाना खिलने नहीं आयेंगे , तब आयेंगे तो आपके यही अपने जिनकी आपने समय रहते कदर नहीं की, अभी भी समय है समझ लीजिए और अपने सच्चे और अच्छे रिश्तों को ,अपनी असली बहुमूल्य संपत्ति की कद्र करके संजोकर रखें, ये चले गए तो अपना कहने के लिए कोई न होगा आपके पास।
अब आते है तीसरी असली संपत्ति की ओर, जो है आपकी इज्ज़त, आपका मान सम्मान जो कि दूसरों द्वारा आपको दिया जाता है । ये भी एक ऐसी आपकी असली संपति है जो आपके द्वारा कमाई जाती है ,हमारे अच्छे व्यवहार से हमारे नम्र स्वभाव से, हमारे अच्छे और नेक कर्मों से ,फिर चाहे बड़े हो छोटे , इज़्ज़त सबको चाहिए होती है क्योंकि अपनी प्यारी होती है, सबको मान-सम्मान,इज्ज़त चाहिए। ये एक ऐसी संपति है जो आपको तभी मिलेगी जब आप दूसरों को देंगे ये एक ऐसी आपकी असली संपत्ति है जो सिर्फ लेन देन।पर ही निर्भर है, सामने वाले को इज़्ज़त देके आप भी इज़्ज़त के लायक बनाए अपने लिए इज़्ज़त कमाइए इसे कमाने का एक यही तरीका है, सामने वाले को इज़्ज़त, प्यार, मान सम्मान देकर खुद अपने लिए वही इज्ज़त मान सम्मान खरीद लीजिए, नहीं तो दूसरे को अगर बेइज्जती उपहार में देंगे तो बदले में उसी की उम्मीद रखिएगा, दिलसे इज्ज़त देने में और ऊपरी इज़्ज़त देने में ज़मीन आसमा का फर्क होता है, जहां इज़्ज़त दिलसे निकलती हैं, वहां सामने होते हुए भी और पीठ पीछे भी आपको इज़्ज़त, मान सम्मान ही मिलेगा।
हमेशा याद रखिए आपकी असली और सबसे बहुमूल्य संपत्ति आपका स्वस्थ शरीर, आपको दूसरों द्वारा प्राप्त इज्ज़त और मान सम्मान, प्यार और आपके अपनो का साथ, उनका अपनापन ही है। पता नहीं क्यों लोग अपनी असली संपत्ति को किनारे कर उनकी बेइज्जती कर दिखावे के चल अचल संपत्ति के पीछे भागते है बेइमानी करते है, बल्कि सब जानते है कि आखिरी में ये सब यही रह जाना है, कुछ साथ लेके भी नहीं जाना, फिर क्यों न हम सब गलत काम छोड़, सबका दिल दुखाना छोड़, चोरी चकारी छोड़ , अपनो का दिल दुखाना छोड़ अपनी असली संपत्ति के साथ सिर्फ और सिर्फ ईमानदारी से अपना काम करें क्योंकि ऊपर वाले को मुंह भी तो दिखाना है। ऐसा काम करें हमेशा जिससे ऊपर वाले के सामने शान से निडरता से खड़े हो सके कि हम ने कोई पाप नहीं किया।
राजेश सिन्हा-8319654988