
कब खत्म होगी नागपुर – चिरमिरी नई रेल लाइन की समस्याएं
संबोधन साहित्य कला विकास संस्थान के प्रतिनिधि मंडल ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
मनेंद्रगढ़ (एमसीबी) संबोधन साहित्य कला विकाश के प्रतिनिधि मंडल ने नागपुर- चिरमिरी नई रेल लाइन के भू अधिग्रहण की प्रगति की जानकारी हेतु एसडीएम मनेंद्रगढ़ को ज्ञापन सौंपा एवं .जिलाध्यक कोरिया श्री शर्मा के पत्र के निर्देशानुसार प्रगति की जानकारी संबोधन संस्था को प्राप्त नहीं होने की जानकारी और चिंता से अवगत कराया.
संस्था अध्यक्ष वीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल हारून मेमन प्रमोद बंसल निरंजन मित्तल एवं गौरव अग्रवाल ने एसडीएम अभिषेक कुमार का गुलदस्ता देकर स्वागत किया एवं इस महत्वपूर्ण रेल लाइन हेतु विगत 10 वर्षों से संस्था द्वारा किए जा रहे प्रयासो की जानकारी दी. 2018- 19 में स्वीकृति के बावजूद भू अधिग्रहण एवं राज्य शासन द्वारा वहन किए जाने वाले 50% राशि रेलवे को नहीं मिलने के कारण कार्य में होने वाले विलंब से स्वयं सेवी संस्थाओं एवं अंचल के नागरिकों की संवेदना से अवगत कराया. माननीय अनुविभागीय अधिकारी श्री अभिषेक कुमार द्वारा शीघ्र जानकारी देने एवं भरपूर सहयोग का आश्वासन दिया गया.
संबोधन संस्था के सम्मानीय सदस्य एवं पूर्व रेल्वे महाप्रबंधक श्री भानु प्रकाश सिंह द्वारा रेलवे को लिखे गए पत्र के उत्तर में रेलवे ने भू अधिग्रहण के कार्य के प्रति संतोष जाहिर करते हुए राजस्व भूमि के अतिरिक्त रेल्वे द्वारा 67 हेक्टेयर आवश्यक वन भूमि के अधिग्रहण हेतु कार्यवाही की जानकारी दी है. साउथ ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे ने जून 2024 तक इस रेल लाइन के कार्य को पूर्ण करने का लक्ष्य बनाया है . इस प्रोजेक्ट के गति शक्ति सिविल के कार्यकारी निदेशक श्री व्ही के जैन द्वारा दी गई जानकारी में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार के हिस्सेदारी की राशि न मिलने की प्रति चिंता जाहिर की गई है जो लागत बजट को बढ़ाने एवं समय पर रेल लाइन प्रोजेक्ट की पूर्णता को प्रभावित कर रहा है . स्थानीय नागरिकों एवं संस्थाओं की चिंता को भी गंभीरता के साथ महसूस किया है.
स्मरणीय है कि ब्रिटिश सरकार के कार्यकाल में 1928 में इस क्षेत्र में कठिन परिस्थितियों के बाद भी रेल लाइन डालकर कोयला उत्खनन कार्य को आगे बढ़ाया था, क्योंकि भाप शक्ति से संचालित पूरे देश के रेल व्यवस्था एवं मुंबई की कपड़ा मिलो सहित विद्युत उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला कोयला तत्कालीन समय में देश के विकास की धूरी थी. किंतुआज कोयला समाप्ति के समय यह क्षेत्र आज उपेक्षा का दंश झेल रहा है. यहां के नागरिक एवं संस्थाएं यह सोचने को विवश हो रहे हैं कि बदलती राजनीतिक सत्ता परिवर्तन हमारे विकास कार्यों को रोकने के लिए हैं या विकास को आगे बढ़ाने के लिए ?.
राजेश सिन्हा