द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका को विश्व ने देखा कि इसमें युद्धबंदियों के साथ कितना अमानवीय व्यवहार किया गया था इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी किया था इसलिए आज के दिन विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है
मनेन्द्रगढ़/ द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका को विश्व ने देखा कि इसमें युद्धबंदियों के साथ कितना अमानवीय व्यवहार किया गया था इसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकार घोषणा पत्र जारी किया था इसलिए आज के दिन विश्व मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है
शासकीय नवीन महाविद्यालय जनकपुर द्वारा आयोजित मानवाधिकार दिवस पर मुख्य अतिथि की आसंदी से अपना उद्बोधन देते हुए कार्यपालिक मजिस्ट्रेट कोटाडोल विप्लव श्रीवास्तव ने कहा कि हमें संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है हम ज्यादातर अपराधियों, आतंकवादी गतिविधियों में संलग्न लोगों के मानवाधिकार की बात करते हैं लेकिन पीड़ित के,उसके परिवार के मानवाधिकार को भूल जाते हैं श्री श्रीवास्तव के कहा कि बहुत से कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है जैसे सूचना का अधिकार यह पारदर्शिता के लिए लाया गया था लेकिन अब यह ज्यादातर ब्लेकमेलिंग में उपयोग हो रहा है
इसी तारतम्य में संस्था के प्राचार्य डा.एसपी त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अब मानवाधिकार की सही सही व्याख्या की जरूरत है हम छोटी बच्चियों के बलात्कारी या हमारे जवानों को भून देने वाले आतंकवादी के मानवाधिकार की बात करते हैं ये किसी भी दृष्टिकोण से मानव कहलाने के भी अधिकारी नहीं हैं जब ये कानून बना तब की परिस्थितियाँ दूसरी थीं लेकिन अब बदल चुकी हैं
कार्यक्रम के संयोजक और विभागाध्यक्ष राजनीति अतुल कुमार वर्मा ने बताया कि भारत में 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना हुई थी श्री वर्मा ने बताया कि भारतीय संविधान के 14 वें अनुच्छेद में समानता का अधिकार वर्णित है
इस अवसर पर महाविद्यालय के परमानंद जी,महरोज बेगम,महावीर पैकरा,हेमंत बंजारे, रिषभ बोरकर सहित महाविद्यालय के छात्र, छात्राएं उपस्थित रही।
राजेश सिन्हा