हमे केवल पुरानी पेंशन चाहिए इससे कम पर कोई बात नही-एके सिंह प्रवक्ता पीआरकेएस
गोरखपुर/ पीआरकेएस के प्रवक्ता ए के सिंह ने कहा है कि वित्त एवं व्यय मंत्रालय ने दिनांक 6 अप्रैल 2023 को एक कार्यालय ज्ञापन जारी कर बताया है। कि सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम को समाप्त करने के लिए हो रहे देशव्यापी विरोध और आंदोलन के मद्देनजर इसे कर्मचारियों के लिए और बेहतर बनाने के संबंध एक समिति बनाने का निर्णय लिया है। जिसमें वित्त, कार्मिक और नियामक संस्था एन पी एस से संबंधित सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हैं।उन्होंने कहा कि इस ज्ञापन में यह बात साफ लिखी है कि जो भी नीतिगत फैसले लिए जाएंगे उनकी शर्तें और संदर्भ नेशनल पेंशन योजना की नीतियों के आलोक में होंगे। इस ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि एन पी एस में सुधार से संबंधित जो भी सुझाव और पैमाने प्रस्तावित किए जाएं उसमें बजटरी प्राविधानों को भी ध्यान में रखा जाए। ए के सिंह ने बताया कि ज्ञापन में यह भी निर्देश दिया गया है कि कोई भी बदलाव करने से पूर्व बजटीय उपलब्धता का ध्यान रखते हुए समिति अपने विवेक का इस्तेमाल अवश्य करें।ज्ञापन में समिति को यह अधिकार भी दिया गया है कि समिति यदि आवश्यकता समझे तो समय-समय पर अलग अलग विभाग के अधिकारियों को इस समिति में शामिल कर सकती है।
व्यय विभाग की कार्मिक शाखा, इस समिति के सचिवालय को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
इस संबंध में पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ का यह कहना है,कि समिति का गठन और इसमें जारी निर्देश किसी भी हालत में कर्मचारियों के लिए हितकर नहीं है। क्यों कि सरकार ने ज्ञापन में जिन बातों के मद्देनजर समिति को सुझाव और फैसले लेने का निर्देश दिया है। उससे किसी गुणात्मक फैसले की उम्मीद नहीं है।सरकार ने समिति को तमाम शर्तों के अधीन सुझाव देने का फरमान जारी किया है। यह समिति शर्तों के बंधन में रहकर कर्मचारियों के पक्ष में कोई सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं रख सकेगी। इस मामले में सरकार ने अपनी आदत के अनुसार बाजीगरी करके कर्मचारियों का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाने का काम किया है।
देश के कर्मचारी संगठनों की मांग तो पुरानी पेंशन को लागू करने को लेकर है न कि नेशनल पेंशन योजना में बदलाव का है। जिस चीज को हम नहीं मांग रहे हैं उसे सरकार हमें क्यो देना चाहती है। समझ से परे है।यह तो वैसे ही है जैसे किसान कानून, किसानों ने कभी कृषि कानूनों की बात कही, लेकिन केंद्र सरकार जबरन उनका भला करने पर आमादा थी। इस मामले में भी कुछ वैसा ही है। आजादी के बाद यह पहली सरकार है जो लोगों के भलाई के काम जबरन करती है। अभी कर्नाटक के चुनाव सिर पर है और दक्षिण में प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ ढलान पर है। इसीलिए एन पी एस में तरह तरह के बदलाव की कवायद हो रही है। भाजपा को यह तो एहसास हो ही गया है कि एन पी एस जनता के आक्रोश का एक बड़ा कारण बना हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप सरकार बाजी पलट सकने के आसार बन सकते हैं। शायद इसीलिए सरकार ने एन पी एस पर एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।
हमारा सवाल कुछ और है और सरकार का जबाव कुछ और है।
हमें केवल पुरानी पेंशन चाहिए और इससे कम पर कोई बात नही है।
राजेश सिन्हा