पत्थर में खिलाया था फूल मिला था संत गहिरा गुरु का पुरस्कार अब खो दिया अपना अस्तित्व कौन है जिम्मेदार
मनेद्रगढ एमसीबी – कहते हैं की किसी को संवारने में कई साल बीत जाता है लेकिन उजाड़ना हो तो समय नही लगता यह पूरा मामला मनेंद्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर जिला के मनेंद्रगढ़ के हसदेव गंगा तट पर हर्बल गार्डन का है जिसे पूर्व जज हेमन्त अग्रवाल जिनका पोस्टिंग मनेंद्रगढ़ न्यायालय में हुआ जिन्होंने इस जगह को संवारने का काम किया और उनका साथ तत्कालीन मनेंद्रगढ़ सीएमओ मनोज सिंह ने दिया और यहां के स्थानियों लोगो का साथ मिला और उस जगह को कई दिनों तक झाड़ियों और पत्थरों को हटाया कर उपजाऊ बनाया और हर्बल गार्डन का आकार दिया गया
वहीं समिति ने वन औषधि और जड़ी बूटी अलग-अलग क्षेत्र से लाकर लगाया इस हर्बल गार्डन में सैकड़ों फलों के वृक्ष लगाए गए 2011 को छत्तीसगढ़ सरकार से नगरपालिका मनेद्रगढ़ को संत गहीरा गुरु का पुरस्कार मिला नगरपालिका मनेंद्रगढ़ ने पंचमुखी हसदेव गंगातट सेवा समिति से हर्बल गार्डन को ले लिया समिति भी हर्बल गार्डन को नगरपालिका को देने में परहेज नहीं किया सोचा नगरपालिका मनेंद्रगढ़ हर्बल गार्डन का विकास करेगी लेकिन समय बीतता गया नगरपालिका मनेंद्रगढ़ में अध्यक्ष बदलते रहे लेकिन किसी ने भी हर्बल गार्डन की ओर ध्यान नहीं दिया ये वही हर्बल गार्डन था जहां कलेक्टर एसपी बड़े बड़े राजनेता यहां तक कि दीदी साध्वी ऋतंभरा ने भी वृक्ष लगाया था ।
दूर-दूर से पर्यावरण के चाहने वाले आकर जड़ी बूटियां के बारे में जानकारी प्राप्त करते थे वहीं आसपास क्षेत्र के स्कूल के बच्चों को लाकर जड़ी बूटियां के बारे में उन्हें बताया जाता था नगर पालिका क्षेत्र के राजनेताओं के द्वारा हर्बल गार्डन के विकास के बारे में बड़ी-बड़ी बातें कही गई थी। लेकिन आज पूरी तरह से उजाड़ हो गया है अब जहां नगरपालिका मनेंद्रगढ़ हर्बल गार्डन के नाम पे लाखो रुपए खर्च किए लेकिन विकाश देखने को नहीं मिला आखिर कौन है जिमेदार ये तो सोचने वाली बात है अब पता चला है नगरपालिका मनेंद्रगढ़ हर्बल गार्डन का बाउंड्री वॉल करा कर सुरक्षित करने का काम कर रही है लेकिन एक कहावत है “का बरखा जब कृषि सुखानी” मतलब जब सब समाप्त हो गया तब बचाने से क्या मतलब