आरटीआई का नहीं देते जवाब कार्यकर्ता को करते हैं परेशान कहीं कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक भ्रष्टाचार में लिप्त तो नहीं मामला वन मंडल मनेंद्रगढ़ का
कोरिया – जिले के वन मंडल मनेन्द्रगढ के अपील अधिकारी इन दिनों सूचना के अधिकार अधिनियमो को दरकिनार करते हुए व अड़ियल रवैया अपनाए हुए है। अधिकारी अपीलार्थी को ठेंगा दिखा रहे है। जन सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपील अधिकारी आवेदन की समयावधि पूर्ण हो जाने के बाद भी टस से मस नही हो रहे है। कार्यालय में आरटीआई के नियम कायदों को ताक में रख कर आरटीआई के तहत प्राप्त आवेदन का समय अवधि में निराकरण करना उचित नही समझते जिससे आवेदक व अपीलार्थी मानसिक प्रताड़ना का शिकार होते जा रहे है। जन सूचना अधिकारी के इन रवैयों ने सूचना के अधिकार अधिनियम की धाराओं को प्रभावित करता जा रहा है। इतना ही नही अधिनियम की सार्थकता भी वन मंडल मनेंद्रगढ़ कार्यालय में सिद्ध नही हो पा रही है।
जानकारी के मुताबिक लगभग 3 से 4 महीने पूर्व पत्रकार संजीव गुप्ता द्वारा वन परिक्षेत्र कुंवारपुर एवं वन परिक्षेत्र बहरासी मे भ्रष्टाचार की असंका होने पर पारदर्शिता औऱ स्वयं की असंका दूर करने के लिए आरटीआई के तहत निर्माण कार्य सम्बंधित दातावेजो की सत्यापित छाया प्रति चाही थी जिसके लिए उन्होंने पंजीकृत डाक एवं स्वयं के द्वारा कार्यालय में दिनांक 9/04/2022 एवं 9/05/2022 को 10 आवेदन लगया था। तब कुंवारपुर व बहरासी जन सूचना अधिकारियों द्वारा आवेदन संबंधित जानकारी के विषयों पर आवेदक को पत्र के माध्यम से बताया कि आवेदन में बिंदुवार एवं विषय वस्तु स्पष्ठ नही का जवाब दे कर कारण बता कर आपका आवेदन नस्तीबद्ध किया जाता है। का फरमान जारी कर दिया जाता है। जबकि आरटीआई की धाराओं के तहत आवेदक को समझ नही आता की आवेदन कैसे लिखे इसके लिए भी प्रावधान है। आवेदक जिस विषय पर जानकारी प्राप्त करना चाहता है उस संबंध में सहायक जन सूचना अधिकारी या अन्य संबंधित ऑफिस स्टाफ आवेदक के कहे अनुसार व प्रशानिक जानकारी के तहत आवेदन लिख कर कार्यालय में सबमिट कर 30 दिवस के भीतर आवेदक को चाही गई जानकारी उपलब्ध कराना भी आरटीआई के प्रावधानों के अनुसार जिम्मेदारी बनती है । लेकिन अपने कृत्यों को सायद छुपाने के लिए जान बूझ कर जन सूचना अधिकारी इस तरह के अड़ियल रवैया अपनाए हुए है। और सूचना के अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ाना प्रशासनिक जिम्मेदारों का व्यवहार सा बन गया है। आवेदक को जानकारी के एवज में भ्रम जैसी स्थिति उत्पन्न कर घुमाया जाता है। समझ से परे तो तब हो जाता है जब आवेदक द्वारा मांगी गई जानकारी जन सूचना अधिकारी को आवेदन पत्र की लिखावट व विषयवस्तु को समझने में 25 से 30 दिन लग जाता है उसके बाद जवाब दिया जाता है कि बिंदुवार या विषय वस्तु स्पष्ट नही है।
कमाल की बात है जब आवेदक स्वयं कार्यालय में उपस्थित हो कर आवेदन पत्र प्रस्तुत करता है। तब क्या जिम्मेदार आंख बंद कर आवेदन पत्र स्वीकार करते है । या फिर उन्हें तत्काल समझ नही आता कि जानकारी में क्या मांग की है जिसे समझने के लिए लगभग 30 दिन का समय व्यतीत करते है । या सीधे तौर से ये कहे की साहब जानकारी देना नही चाहते और अपने करामातों से चादर हटने देने नही चाहते । चादर हटी तो निर्माण कार्य दुर्घटना घटित हो सकती है। यही डर में सायद जन सूचना अधिकारी आवेदनों का कार्यालय में फाइल बना धूल जमा रहे है।
मामले पर अपीलीय अधिकारी पक्षपात पूर्ण व्यवहार एवं संभवतः रुचि नहीं लेना
जब जन सूचना अधिकारी द्वारा लगभग 30 दिनों बाद डाक के माध्यम से आवेदक को ऐसा जवाब मिलता है उसके बाद आवेदक ये सोच कर अपीलीय अधिकारी के पास आरटीआई के तहत प्रथम अपील आवेदन प्रस्तुत करता है कि मामले पर जरूर अपीलीय अधिकारी संज्ञान लेंगे और चाही गई जानकारी देने जन सूचना अधिकारी को आदेश करेंगे पर इसके ठीक विपरीत परिस्थिति यहाँ व्यापत है ।
मामला कुंवारपुर परिक्षेत्राधिकारी
आवेदक द्वारा वन मंडल मनेन्द्रगढ के वन मंडलाधिकारी को कुंवारपुर परिक्षेत्राधिकारी के खिलाफ प्रथम अपील दिनांक 11/05/2022 को आवेदन प्रस्तुत किया गया कि मामले पर जरूर अपीलीय अधिकारी संज्ञान लेंगे और चाही गई जानकारी आवेदक को उपलब्ध कराएंगे मगर इसके ठीक विपरीत परिस्थिति यहाँ तो व्यापत है जब वन मंडल मनेन्द्रगढ कार्यालय द्वारा आवेदक को प्रथम अपील प्रकरणों की सुनवाई के लिए पत्र के माध्यम से दिनांक 10/06/2022 समय 01:00 उपस्थित होने को कहा जाता है मगर हर बार की तरह प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं जन सूचना अधिकारी लगभग अनुपस्थित रहते हैं तथा स्टेनो एवं मुख्य लिपिक (बर्मन बाबू) के समक्ष प्रस्तुत होने को कहा जाता है और कार्रवाही तख्ता में हस्ताक्षर कराकर भेज दिया जाता है इस प्रकार वन मंडलाधिकारी सम्मानित एवं न्यायिक पद पर होते हुए भी अपने अधीनस्थ अधिकारियों का पक्ष लेते हुए बगैर प्रकरण की सुनवाई किए आवेदक के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर आवेदन पर एक तरफा कार्यवाही करते हुए आवेदन को निराकृत कर दिया जाता है उपरोक्त स्थिति के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि किसी भी आवेदन पर कार्यवाही किए जाने हेतु समय का अभाव होता है अथवा आपके द्वारा कार्य में संभवत रुचि नहीं ली जाती है। तथा इससे पूर्व में भी मंडलाधिकारी के पक्षपातपूर्ण व्यवहार के कारण कुंवारपुर परिक्षेत्र के 3 मामलों में आवेदक द्वारा दिनांक 8/06/2022 को छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग को द्वितीय अपील एवं शिकायत भेजीं जा चूंकि हैं।
मामला बहरासी परिक्षेत्राधिकारी
आवेदक द्वारा पुनः वन मंडल मनेन्द्रगढ के वन मंडलाधिकारी को बहरासी परिक्षेत्राधिकारी के खिलाफ प्रथम अपील दिनांक 29/06/2022 को आवेदन प्रस्तुत किया गया एवं वन मंडल मनेन्द्रगढ कार्यालय द्वारा आवेदक को प्रथम अपील प्रकरणों की सुनवाई के लिए पत्र के माध्यम से दिनांक 13/07/2022 समय 01:00 उपस्थित होने को कहा जाता है मगर आवेदक को प्रेषित डाक पत्र 15/07/2022 को प्राप्त हुआ एवं लेट पत्र पहुंचने के आधार पर आवेदक के द्वारा उसी दिन कार्यालय में उपस्थित होकर एक आवेदन देकर प्रकरणों की सुनवाई के लिए पुनः नई तिथि एवं समय निर्धारित मांग की गई थी मगर आज प्रथम अपील किये हुए लगभग 40 से 45 दिन बित जाने के बाद भी वन मंडल मनेन्द्रगढ के अपीलीय अधिकारी तो जन सूचना अधिकारी से भी ज्यादा घाग निकले अपील आवेदन का समय बीतने के कगार पर हैं आवेदक राह देखते थक गया । साहब की कलम तक नही चली अपीलीय अधिकारी ने तो आवेदन पर सुनवाई करने का दिन,दिनांक,समय तक घोषित करके आवेदक को जानकारी नही दी। सुनवाई तो दूर की बात है।
प्रथम अपीलीय अधिकारी एवं जन सूचना अधिकारी के द्वारा कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं करना इस बात की ओर इशारा करती है कि आवेदन संबंधी जानकारी देने में अधिकारी टाल मटोल कर रहे है । अब आवेदक ने जानकारी न मिलने की स्थिति में द्वितीय अपील एवं शिकायत करने के लिए आवेदक अग्रसर है। वहीं वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार संकेत मिल रहे हैं। यही वजह है कि वन विभाग जानकारी देने से कतरा रहा है। क्योंकि जानकारी देने पर लाखों रुपये के भ्रष्टाचार उजागर हो सकते हैं। वहीं पत्रकार संजीव गुप्ता ने कहा कि यदि वन विभाग अपनी हरकतों से बाज नहीं आता तो मेरे द्वारा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जायेगा।
राजेश सिन्हा