
छठ व्रत का खरना आज, पूजा विधि और व्रती इन खास बातों का रखें ध्यान
गोरखपुर पीपीगंज महामंडलेश्वर किरन बाबा ने बताया कार्तिक माह की पंचमी तिथि का दिन खरना कहलाता है। इसे लोहंडा के नाम से भी जाना जाता है। छठ का पर्व सूर्यदेव की उपासना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है इसमें व्रत्ती संतान की सुख समृद्धि लंबी आयु के लिए 36 घंटे अन्न जल का त्याग करती हैं।खरना के दिन महिलाएं शाम को मीठा भोजन कर व्रत शुरू करती हैं। खरना का अर्थ है खरा यानी कि शुद्धिकरण।नहाए खाए में जहां बाहरी यानी कि तन की स्वच्छता करते हैं तो वहीं खरना में आंतरिक यानी कि मन की स्वच्छता पर जोर दिया जाता है। खरना के दिन महिलाएं शाम के समय चूल्हे पर गुड़ी की खीर और साठी के चावल का का भोग बनाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार खरना पूजा के साथ ही छठी मइया घर में प्रवेश कर जाती हैं और महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है।खरना विधि खरना पूजन के दिन छठ व्रती सूर्योदय से पूर्व स्नान कर सबसे पहले सूर्य देवता को अर्घ्य दें। शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी लगाकर साठी के चावल, गुड़ और दूध की खीर बनाई जाती है। इस दिन एक टाइम ही भोजन किया जाता है।किरन बाबा ने बताया प्रसाद सबसे पहले छठी मईया को अर्पण करें और फिर व्रती प्रसाद ग्रहण करके फिर घर के बाकी सदस्य यही खाना खाएं। इस उपवास का समापन छठ पूजा के चौथे दिन भोर अर्घ्य के साथ खत्म होगा।
राजेश सिन्हा