अनवरत हनुमान चालीसा का पाठ निरंतर ऐसे ही जारी रहेगा- डॉ रश्मि सोनकर
यतो धर्मस्ततो जयः- जहाँ धर्म है वहाँ विजय है
मनेन्द्रगढ़/हिंदू शौर्य दिवस और मनेंद्रगढ़ के हनुमान टेकरी मंदिर मे लगातार अनवरत चल रहे महिलाओं के द्वारा सामुहिक हनुमान चालीसा के पाठ को एक वर्ष पूर्ण होने पर वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया, जिसमे सनातन धर्म को लेकर जागरुकता व चेतना के विषय को लेकर चर्चा हुई, डॉ रश्मि सोनकर ने कहा कि भारत देश आदिकाल से ही सनातन धर्म का ध्वजवाहक रहा है ऐसे मे भारत का यश और भारत की कीर्ति सर्वधर्म समभाव व वसुधैव कुटुंबकम की धारणा सनातन धर्म पर ही टिकी रही है, सनातन धर्म के प्रति विशेष वर्ग के द्वारा लंबे समय से अत्याचार और दमन की कार्यवाही की जाती रही है लेकिन जिस तरह से सूर्य के होने से ही पृथ्वी का अस्तित्व है वैसे ही सनातन धर्म के होने से भारत का गौरव बना हुआ है|
इस परिस्तिथि को बनाये रखने का संघर्ष पहले भी चला है और आगे भी चलता रहेगा, इसी संघर्ष को लेकर मनेंद्रगढ़ शहर के कारसेवक जिन्होंने राम जन्मभूमि व मंदिर निर्माण के संघर्ष मे अपना योगदान दिया था, राजीव लोचन अग्रवाल, अनिल केसरवानी, रामकिशोर श्रीवास्तव, महावीर मित्तल को श्रीफल व भगवा वस्त्र देकर सम्मान किया गया उपस्थित सभी कारसेवको ने आनेवाली पीढ़ियों को संघर्ष और धर्म के प्रति आस्था के लिए जागरूक किया | आगे डॉ रश्मि सोनकर ने कहा कि हम 6-7 महिलाओं ने शुरू किया था और लगातार महिलाएं जुड़ती जा रही है, एक कोशिश थी सभी सनातन धर्म के प्रेमियों को एकजुट करने की ये कोशिश सफलता की ओर अग्रसर है बीच मे कुछ रुकावटें जरूर आई पर हनुमान जी की कृपा साथ रही और निरंतर हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का सामुहिक पाठ जारी है |
कारसेवको के संघर्ष की गाथा को मृत्युंजय सोनी जी ने सबको बताया, छोटे नन्हे मुन्ने बच्चे प्रभु श्री राम, सीता माता और हनुमान के रुप मे सजकर सबका मन मोह लिया, अनवरत चल रहे हनुमान चालीसा के पाठ से लगातार शीला सिंह, निलिमा श्रीवास्तव , प्रीतिशारदा त्रिवेदी, आरती जायसवाल, प्रतिमा प्रसाद, प्रियंका राय, नीतु अग्रवाल, कल्पना अग्रवाल, रेणु प्रसाद, वंदना सिंह, सुनिता चतुर्वेदी, सुशीला शुक्ला, आरती तिवारी, गंगा ताम्रकार, व अन्य सभी महिलाओं का विशेष सहयोग व साथ बना हुआ है, वास्तव मे मोतियों को मिलाकर माला बनाया जाता है हनुमान चालीसा मे उपस्थित रहने वाली सभी महिलाएं अपने आप मे प्रेरणा है |
राजेश सिन्हा