
भागवत के बयान से बीजेपी को नुकसान तय – डा. शिव शरण श्रीवास्तव “अमल “
तथाकथित राष्ट्रवादी, हिंदुत्व वादी संगठन RSS के मुखिया मोहन भागवत जी द्धारा दिया गया यह बयान कि “जातियां पंडितों ने बनाई थी, जो कि गलत थीं “_इस बयान से सारे राष्ट्रवादी और सनातन संस्कृति के उपासकों में काफी आक्रोश है, इस कथन से बीजेपी की राष्ट्रवादी छवि को गहरा आघात पहुंचा है यथा भविष्य मे इसके कारण बीजेपी को नुकसान होना तय है।
यह बयान न तो उचित ही है और न ही सही ही है, इसके अलावा “पंडित “शब्द का अर्थ भी मोहन भागवत जी न जानते हों, एसा संभव नहीं है ।
वास्तव में आदिकाल से मनु के जमाने से ही कर्म के अनुसार वर्ण व्यवस्था बनाई गई थी, और यह भी कहा गया था कि जन्म से हर मनुष्य शूद्र ही होता है फिर वह कर्म के अनुसार प्रगति करता है, इसी प्रगति के आधार पर बाल्मीकि, वेद व्यास, रैदास, नाभादास आदि ने उच्च पद प्राप्त किया, विश्वामित्र क्षत्रिय वर्ण मे पैदा हुए और अपनी तपस्या तथा सत्कर्मों की वजह से ब्रम्हर्षी कहलाए।
इन्हीं चारों वर्णों का उल्लेख भगवान श्री कृष्ण ने श्री मद भगवत गीता में भी किया है तथा सारे आर्ष ग्रंथों में इसका उल्लेख है, जो कर्म आधारित सामाजिक व्यवस्था है, अस्तु पंडितों पर जातिप्रथा का दोष लगाना न तो सही है और न ही उचित है।
अगर न्यायिक दृष्टि से देखा जाए तो भारत का संविधान ही घोर जाति वादी है, इसके अनुसार पिछले सत्तर वर्षों से sc,st, OBC, अल्प संख्यक,, बहु संख्यक सब उसी जाति में बने हुऐ हैं,।
विधायक, सांसद, मंत्री, अधिकारी बनने के वाद भी पिछले सत्तर वर्षों से एक भी दलित परिवार, एक भी पिछड़ी जाति का परिवार सामान्य नही बन सका है, यथा पान की दूकान चलाने वाला तिवारी परिवार अभी भी सामान्य बना हुआ है, उसे पिछड़ा नहीं माना जायेगा।
इसलिए यही उचित होगा कि अगर मोहन भागवत जी को या और किसी को जातिवादी व्यवस्था की समीक्षा करनी है तो संविधान की करनी चाहिए, और अनर्गल बयान बाजी से बचना चाहिए।
संपादक -राजेश सिन्हा