पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ की मांग आउट सोर्सिंग एजेंसियो का करार खत्म करे
गोरखपुर// गोरखपुर पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के प्रवक्ता ए के सिंह ने कहा कि यदि स्थाई कर्मचारियों की मौजूदा, वर्क फोर्स से कार्यों को पूरा नहीं किया जा सकता है। स्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए और यदि किन्हीं परिस्थितियों के चलते ऐसा नहीं हो सकता है तो फिर एक नियत समय तक काम करने के लिए कर्मचारियों को श्रम मंत्रालय द्वारा तय की गई न्यूनतम मजदूरी के आधार पर कर्मचारी संविदा पर रखे जाए और काम करने वाले मजदूरों के खाते में नियोक्ता ही निर्धारित वेतन स्थानांतरित करे ।ए के सिंह ने कहा सरकारी उपक्रमों में आउटसोर्सिंग एजेंसी के जरिए काम करने वाले कामगारों के श्रम और मजदूरी की जम कर लूट हो रही है। जिसमें नियोक्ता पूरी तरह से शामिल हैं ।रेलवे देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम है। इसी वजह से सबसे अधिक आउटसोर्सिंग कर्मचारी इसी संस्था में काम कर रहे हैं । इस लिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन्हें शोषण से बचाएं ।
ए के सिंह ने कहा कि इन्हें आउटसोर्सिंग एजेंसी के मालिक सरकार द्वारा निर्धारित वेतन नहीं दे रहे हैं और नाही इन कर्मचारियों के प्राविडेंट फंड खाते में नियमित रकम कटौती प्रति माह जमा की जा रही है। जबकि पी एफ विभाग का यह निर्देश है कि यदि आउटसोर्सिंग एजेंसी अपने कर्मचारियों के निर्वाह निधी खाते में हर महीने की कटौती कर नहीं जमा करेगी तो उसका अगले माह का भुगतान नहीं होगा । पूर्वोत्तर रेलवे में इसका पालन नहीं हो रहा है । ए के सिंह ने कहा कि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन कर्मचारियों को 19500 रूपए प्रति माह मिलना चाहिए। एजेंसी इन्हें 8 से 9 हजार रुपए ही प्रति माह देती है।सब कुछ जानते हुए भी रेल प्रशासन का इस मामले में मूक दर्शक बना रहना हैरान करता है।उन्होंने आरोप लगाया कि इन गरीब युवाओं के पैसों की लूट में नियोक्ता की पूरी तरह से भागीदारी है । ए के सिंह ने कहा कि रेलवे सहित अन्य विभागों के सरकारी अधिकारी जिस तत्परता से आउटसोर्सिंग एजेंसी को अनुबंधित करने के लिए तत्पर रहते हैं।उतना ही तत्पर इन कर्मचारियों के हितों की हिफाजत करते तो हालात बद से बद्तर नहीं होते।इस लिए देश के युवाओं की मजबूरी और लाचारी को समाप्त करने तथा उनके पैसों की लूट बंद कराने के लिए आउटसोर्सिंग प्रणाली पूरी तरह से खत्म होनी चाहिए।
संपादक- राजेश सिन्हा