मुंशी प्रेमचंद छोटी कहानियां और बड़े कैनवास के चितेरे लेखक,- रमेश सिन्हा
मनेंद्रगढ़ /एमसीबी :- मुंशी प्रेमचंद की कहानी छोटी होती थी लेकिन उनका कैनवास बहुत बड़ा होता था. वह छोटी कहानियां और बड़े कैनवास की चितेरे लेखक थे. उक्ताशय के विचार सुप्रचित साहित्यकार रमेश सिन्हा ने मुंशी प्रेमचंद की 125 में जयंती समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किये, उन्होंने कहा कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के पिछड़े वर्ग की संवेदनाओं को शब्दों में बाँधकर कहानी के रूप में प्रस्तुत करना और समाज को चिंतन के लिए झकझोरने का प्रयास उनकी कहानी की विशेषता रही है. वर्तमान सृजनकर्ताओं के लिए प्रेमचंद मील के वह पत्थर है जो हर सृजन कर्ता को मार्गदर्शन देते रहेंगे.
नई सब्जी मंडी मार्ग में निदान सभागार मनेन्द्रगढ़ में संबोधन साहित्य एवं कला विकास संस्थान तथा वनमाली सृजन केंद्र के संयुक्त पहल में मुंशी प्रेमचंद की 125 में जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. “वर्तमान साहित्य संदर्भ में मुंशी प्रेमचंद का योगदान”
विषय पर अंचल के साहित्यकारों और साहित्य चिंतकों ने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विचार रखे.
संगोष्ठी का संचालन करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार बीरेंन्द्र श्रीवास्तव ने संबोधन संस्थान के अध्यक्ष अनिल जैन, संरक्षक सांवलिया सर्राफ, मुख्य अतिथि रमेश सिन्हा एवं उपाध्यक्ष हारून मेमन का अभिनंदन करते हुए समस्त अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने मुंशी प्रेमचंद की संगोष्ठी की शुरुआत करते हुए कहा कि जिस रचनाकार के पात्र होरी, धनिया और हीरा – मोती जैसे पात्रों को भी आज लोग जुबानी याद रखते हो ऐसे साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद पर पर हिंदी साहित्य गर्व करता है.
। संस्था अध्यक्ष अनिल जैन ने कहा कि ब्रिटिश काल में भी मुंशी प्रेमचंद की कलम ग्रामीण परिवेश में अपनी सहज लेखनी के माध्यम से स्वाधीनता की चेतना जगाने का कार्य कर रही थी. पुष्कर तिवारी ने मुंशी प्रेमचंद के हिंदी साहित्य में योगदान के महत्व को स्वीकार कर कहा कि देश में मुंशी प्रेमचंद के सृजन पीठ स्थापित किए जाने चाहिए. साहित्यकार गौरव अग्रवाल ने मुंशी प्रेमचंद को नए रचनाकारों की कहानी का आदर्श और मार्गदर्शक बताया.
साहित्यकार परमेश्वर सिंह एवं श्यामसुन्दर निगम ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की परिस्थितियों में समाज की कुरीतियों को व्यक्त करने के मुंशी प्रेमचंद एक सिद्ध- हस्त हस्ताक्षर रहे हैं उन्होंने ग्रामीण परिवेश पर अपनी कविताओं की प्रस्तुति के साथ मुंशी प्रेमचंद के कृतित्व को याद किया. इस अवसर पर उपस्थित सर्जनधर्मी रचनाकारों ने अपनी कविता प्रस्तुतति के माध्यम से उपस्थित साहित्य प्रेमियों की वाह- वाही बटोरी.
मुंशी प्रेमचंद के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्याख्यान और अनुभव प्रस्तुति के देर शाम तक चलते इस कार्यक्रम में साहित्य प्रेमियोँ के अतिरिक्त साहित्यकार सांवलिया प्रसाद सर्राफ, अनिल जैन, रमेश सिंन्हा, हारून मेमन, अरविंद श्रीवास्तव ,नरेंद्र श्रीवास्तव ,परमेश्वर सिंह, श्याम सुन्दर निगम, गौरव अग्रवाल, पुष्कर तिवारी,विजय गुप्ता, बीरेन्द्र श्रीवास्तव की उपस्थिति ने कार्यक्रम को ऊंचाइयां प्रदान की.
राजेश सिन्हा 8319654988