
मानवीय संवेदनाओं को जीवित रखने का प्रयास
कोरिया साहित्य महोत्सव (कोसम)
प्रस्तुति- बीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव
विशेष आलेख –
मानव जीवन के प्रारंभ से ही संवेदनाएं उसके साथ रही है, चाहे वह संवेदना पालने में पड़े बच्चों को रंग पहचानने से महसूस होती हो या उसे गोद में लेकर हवा में उछालने या गुदगुदाने से मिलती है। इन्हीं संवेदनाओं को जब हम किसी भाषा के माध्यम से शब्दों में बयां करते हैं तब वह साहित्य के रूप में दिखाई पड़ता है। इन्हीं संवेदनाओं को जब हम गायन या स्वर यंत्र के स्पन्दन से आनंदित एवं भाव विभोर कर देने वाले सुरों में ढाल देते हैं तब इसे संगीत कला का नाम दिया जाता है। कला के अभिव्यक्ति का बदलता स्वरूप चित्रकला,कास्ट कला, शिल्प कला, या प्राकृतिक रंगो की कला के रुप जब हमारी संवेदनाओं को झंकृत करती है, तब इसी स्पंदन से जितना ज्यादा सुख और आनंद हमें मिलता है उसे अपने पैमाने पर मापकर हम किसी भी व्यक्ति को कलाकार या साहित्यकार की श्रेणी मे शामिल करने की कोशिश करते हैं। जो गीत, कविता और साहित्य पढ़ने सुनने से हम आनंदित होते हैं वही साहित्य श्रेष्ठ साहित्य में स्थान पाता है।
साहित्य एवं कला महोत्सव मानवीय संवेदनाओं को जीवित रखने के प्रयास होते हैं। इसलिए साहित्य महोत्सव के आयोजन का महत्व मात्र एक आयोजन की सीमा के पार बढ़कर मानवीय हृदय की संवेदनाओं को बचाए रखने का एक सशक्त प्रयास है, क्योंकि यदि संवेदना मर जाएगी तब मानव मृतप्राय हो जाएगा. न्याय अन्याय, सही गलत, की परिभाषा और स्त्री पुरुष के बीच के बदलते भाई बहन के रिश्तों की परिभाषा मानवीय संवेदनाओं की उपज है जो हमें कई स्थान पर पशुओं से अलग करती है।इसलिए आज संवेदनाओं को झंकृत करने वाले साहित्य महोत्सव या कला महोत्सव के आयोजन समाज की नैतिक आवश्यकता है। जो मनुष्य के हृदय में संस्कृति, देश प्रेम और आपसी सद्भाव की सामाजिक सुरक्षा संरचना की भावना को मजबूती प्रदान करती है। ऐसी ही एक कोशिश का नाम है “कोरिया साहित्य महोत्सव” (कोसम) । छत्तीसगढ़ के बैकुंठपुर नगर में आयोजित यह उत्सव यहां 16वीं से 17वीं शताब्दी के कोल राजाओं की राजधानी कौड़िया गढ़ पहाड़ के नाम पर रखी गई है। यही नाम समय के अंतराल में यहां के रियासत एवं वर्तमान जिले का नाम बन गया।
मानव आदिम युग से निकलकर जब से सुसंस्कृत हुआ है अपनी खुशियों को व्यक्त करने के लिए उत्सव के आयोजन करता रहा है। हमारी सांस्कृतिक विरासत में अपने जीवन के अनेक अवसरों पर सामाजिक परंपरा के अनुसार कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा है, लेकिन साहित्य एवं कला महोत्सव का आयोजन इससे एक कदम और आगे है जिसमें हम अपने साथ-साथ कई अन्य लोगों को भी शामिल कर लेते हैं। इस महोत्सव में आयोजित साहित्य एवं कला की प्रस्तुतियां जहां साहित्यकारों एवं कलाकारों को अपनी रचनात्मक प्रतिभा को प्रस्तुत करने का मंच प्रदान करता है वही श्रोता या दर्शक दीर्घा में बैठे विद्वान समीक्षकों,सहित साहित्यकार एवं कलाकारों को मापने का अवसर प्रदान करता है। सामान्य जन मंच की प्रस्तुतियों से अपने भीतर उठती संवेदनाओं को महसूस करता हुआ अच्छी प्रस्तुति या कमजोर प्रस्तुति का निर्णय देता है लेकिन लोगों की संवेदनाओं को बचाए रखने एवं उन्हें तरंगित करने का पूरा श्रेय समारोह आयोजन के आयोजको के पक्ष में होता है.
28 राज्यों एवं आठ केंद्र शासित प्रदेशों का समूह यह भारत देश अपनी अलग-अलग सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए हैं लेकिन विश्व में अपनी विशिष्ट सामूहिक पहचान के साथ साहित्य एवं कला की विविधताओं का देश है। अपनी अलग पहचान के साथ अलग-अलग राज्य साहित्य एवं कला समारोह के आयोजन समय-समय पर करते रहे हैं जिनमें से कई समारोह विश्व स्तर पर अपनी पहचान बन चुके हैं। जयपुर साहित्य समारोह एवं उन्मेष अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव जैसे आयोजन आज एशिया की सीमाओं को पार करके कई अन्य देशों में अपनी कीर्ति पताका फहरा रही है। साहित्य अकादमी का यह आयोजन इस वर्ष 2025 में बिहार राज्य के पटना शहर में भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किया गया। इसी तरह साहित्य अकादमी का वार्षिकोत्सव समारोह प्रत्येक वर्ष भारत की मान्यता प्राप्त कई भाषाओं के कवि लेखक एवं आलोचकों की उपस्थिति में संपन्न होता है। इसी तरह केरल साहित्य महोत्सव केरल के कोझिकोड तट पर और देश की सांस्कृतिक राजधानी कोलकाता में टाटा लिटरेचर लाइफ का आयोजन देश के लेखकों और कलाकारों को आकर्षित करता रहा है। हैदराबाद साहित्य महोत्सव एक बहुभाषी ऐसा साहित्य उत्सव है जिसमें देश-विदेश के साहित्यकार स्थान प्राप्त कर स्वयं गौरव का महसूस करते हैं.
छत्तीसगढ़ राज्य की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों की परंपरा में चक्रधर समारोह, रायगढ़ का नाम अग्रणी है जो कई वर्षों से लगातार कलाकारों साहित्यकारों और कला के अलग-अलग विभूतियों को मंच प्रदान करती रही है। यह समारोह यहां के राजा एवं कवि चक्रधर सिंह को समर्पित समारोह है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के साहित्यकारों एवं कलाकारों को शामिल कर उनके प्रतिभा को राष्ट्रीय मंच देने की एक कोशिश रायपुर साहित्य समारोह के माध्यम से प्रारंभ हुई थी लेकिन इसका पहला श्रेष्ठ आयोजन अपने समापन के साथ अंतिम साबित हुआ। दशहरा के अवसर पर आयोजित बस्तर लोक महोत्सव छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति की राष्ट्रीय पहचान बनाकर ऊपरी है। छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के वार्षिक समारोह एवं आखर छत्तीसगढ़ जैसे समारोह छत्तीसगढ़ी राजभाषा और लोक भाषाओं को संरक्षित करने का प्रयास सराहनीय है।
लेकिन छत्तीसगढ़ के साहित्य एवं कला को राष्ट्रीय पहचान के साथ एक मंच पर प्रस्तुत करने के प्रयास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की कोई ठोस पहल न होना चिंतजनक है. रायपुर साहित्य समारोह के आयोजन को भी पुनः प्रतिवर्ष आयोजित कर हम साहित्य, कला, सिनेमा, लोक वाद्य, सहित विचारको की समृद्ध पीढ़ी एवं साहित्यिक आयोजनों में छत्तीसगढ़ को अग्रणी राज्य की श्रेणी में ला सकते हैं। नवा रायपुर में इसका आयोजन पूरे देश का ध्यान नवा रायपुर की संरचना और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक वैभव को आकर्षित करेगा.
छत्तीसगढ़ में कुछ स्वयं सेवी संस्थाओं ने साहित्य के क्षेत्र में सम्मान घोषित कर राष्ट्रीय परिदृश्य में अपनी जगह बनाई है जिसमें जगदलपुर बस्तर के हल्बी लेखक स्वर्गीय ठाकुर पूरन सिंह स्मृति “सूत्र सम्मान” का नाम अग्रणी है। विगत 28 वर्षों से जारी या सम्मान देश के कई चर्चित लेखकों को उनकी लोक चेतना की रचनाओं और पुस्तकों के लेखन के लिए लगातार दिया जा रहा है।अशोक शाह, प्रताप राव कदम, नसीर अहमद सिकंदर, संजीव बक्षी, एकांत श्रीवास्तव, भास्कर चौधरी, अग्नि शेखर, सहित 25 वाँ सूत्र सम्मान समारोह मने.-चिर-भरतपुर जिले के मनेन्द्रगढ़ नगर में वर्ष 2022 में सम्पन्न हुआ. संबोधन साहित्य एवं कला विकास संस्थान मनेन्द्रगढ़ के सहयोग से आयोजित इस सम्मान समारोह में देश भर के साहित्यकारों की उपस्थिति में राजस्थान के सूर्य प्रकाश जीनगर को और बिहार पटना के ओमप्रकाश मिश्र को 25 वाँ सूत्र सम्मान प्रदान किया गया. बाद के क्रम में छत्तीसगढ़ के साहित्यकार संजय एलंग, शरद कोकाश, एवं हिमाचल की साहित्यकार जमुना बीनी को यह सम्मान प्रदान किया गया. इस वर्ष 2025 में 28वां सूत्र सम्मान छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरती बस्तर के कोंडागांव में 25 अक्टूबर को कोलकाता के डॉक्टर सुनील कुमार शर्मा को उनके लोक साहित्य लेखन के अतुलनीय योगदान के लिए दिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ से ही बहुमत सम्मान भी अलग-अलग विधाओं पर दिया जाता है.
देश के अलग-अलग राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा कई सम्मान घोषित किए गए हैं जो साहित्य एवं कला के क्षेत्र में दिए जा रहे हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड तथा दिल्ली द्वारा घोषित कई सम्मान छत्तीसगढ़ के रचनाकारों को उनकी साहित्यिक प्रतिभा को सम्मानित करते हुए प्रदान किये गए है. रायपुर के गिरीश पंकज को देश का सर्वश्रेष्ठ व्यंग श्री सम्मान, उत्तर प्रदेश का साहित्य भूषण सम्मान लखनऊ, हिंदी राजभाषा सम्मान दिल्ली, रत्न भारतीय सम्मान भोपाल, लीला रानी स्मृति सम्मान पंजाब, श्रीलाल शुक्ल सम्मान लखनऊ, विदूषक सम्मान जमशेदपुर, जैसे कई चर्चित सम्मान प्राप्त कर छत्तीसगढ़ का राष्ट्रीय स्तर पर गौरव बढ़ा रहे हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश में रविंद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलपति श्री संतोष चौबे के नेतृत्व में विश्व रंग समारोह का आयोजन पूरे विश्व मे फैले हिंदी एवं अन्य भाषाओं के अनुवादक , रचनाधर्मियों ,साहित्यकारों एवं कलाकारों को एक मंच पर जोड़ने का प्रयास विगत 7 वर्षों से कर रहा है। आयोजन की उपलब्धि यह है कि आज 50 से अधिक देश इस आयोजन में शामिल हो रहे हैं। वर्ष 2024 में मॉरीशस में विश्व रंग का आयोजन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच की उपलब्धियां की ऐसी लकीर खींच गया जिसे और लंबी करने का दायित्व हम सभी साहित्यकारों का होगा। इस वर्ष 2025 में कोलंबो में हिंदी ओलंपियाड का आयोजन विश्व रंग के पंखों की और उँची उड़ान के आकाश को प्रस्तुत करता है.
छत्तीसगढ़ के कोरिया साहित्य महोत्सव (कोसम) का 11 और 12 अक्टूबर को बैकुंठपुर में इस वर्ष आयोजन कई संभावनाओं को प्रदर्शित करता है। आंचलिक साहित्यकारों एवं कलाकारों की प्रतिभा को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने की कोशिश का यह समारोह अपने आयोजन के तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहा है। वर्ष 2023 के हिंदी दिवस पर बैकुंठपुर के युवा रचनाकारों ने जब कोरिया साहित्य महोत्सव की कल्पना की, तब कई सहयोगी हाथ धीरे-धीरे आगे बढ़े और आज कोयलांचल एसईसीएल के सहयोग के साथ- साथ प्रशासनिक सहयोग और कुछ व्यापारिक संस्थाओं के सहयोग ने इसे ऊंची उड़ान भरने की प्रेरणा दी. टीम अभिव्यक्ति के रुद्रनारायण मिश्रा, योगेश गुप्ता, सम्वर्त रूप एवं नरेश सोनी के विचारों का यह कारवां अपने साथ रचनाकारों, कलाकारों और सहयोगियों को जोड़ता हूआ आज मजबूत संगठन बनकर उभर रहा है, इस आयोजन पर आज अंचल को ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को गर्व है। कुछ लोगों के प्रयास से प्रारंभ साहित्यिक आयोजन की शुरुआत को साहित्यकार एवं प्रशासनिक अधिकारी आशुतोष चतुर्वेदी का नैतिक समर्थन मिला जिसमे अब देश के प्रख्यात साहित्यकार गिरीश पंकज, संजय एलंग, शिक्षाविद् डा.रामकिंकर पांडे, भागवत दुबे, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, सुनीता मिश्रा और बनारस के गायक कलाकार राघवेंद्र शर्मा, के साथ-साथ अंचल के गायक कलाकार रमेश गुप्ता ने अपनी गजल एवं भजन गायकी के कीर्तिमान स्थापित किए हैं। साहित्यकारों में अंचल के वरिष्ठ रचनाकार भोला प्रसाद मिश्रा एवं बीरेंद्र श्रीवास्तव को आजीवन साहित्य सेवा हेतु इस मंच सम्मानित किये जा चुका हैं. इसी तरह विद्वत सम्मान शैलेंद्र श्रीवास्तव तथा विदुषी सम्मान डॉक्टर सुनीता मिश्रा को दिया गया है। संवर्त कुमार रूप और गौरव अग्रवाल जैसे नए रचनाकारों को
“होनहार वीरवान के होत चिकने पात” की उक्ति को चरितार्थ करते हुए आरोही सम्मान देकर इस मंच ने संभावनाओं के बीज को नई ऊंचाइयाँ छूने का आकाश दिया है। अलग-अलग विधाओं में नृत्य, गायन, वादन, के साथ साथ नाट्य कलाकारों , पत्रकारों और प्रशासनिक अधिकारियों तथाआंचलिक विकास को गति देने वाले एसईसीएल अधिकारियों को परिचर्चा मे शामिल कर देश के विकास में उनके योगदान को जनता के सामने रखने का सराहनीय प्रयास किया है।
आंचलिक विकास की धुरी कोयला उद्योग,पत्रकार, प्रशासन एवं सामाजिक और साहित्यिक योगदान से भरा पूरा यह समारोह धीरे-धीरे अपनी ऊंचाइयों की ओर अग्रसर है। वर्ष 2025 में शामिल होने वाले छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माननीय शशांक शर्मा की उपस्थिति इस मंच से छत्तीसगढ़ में किसी बड़े साहित्यिक समारोह के आयोजन की संभावना की रूपरेखा लेकर प्रस्तुत होंगे, ऐसी उम्मीद की जाती है।
कोरिया साहित्य महोत्सव का निरंतर आगे बढ़ना छत्तीसगढ़ संभाग स्तरीय नगरों को भी साहित्य समारोह के आयोजन हेतु प्रोत्साहित कर रहा है। साहित्यिक गतिविधियों का शहर अंबिकापुर, बिलासपुर, रायपुर, महासमुंद और जगदलपुर मे इस तरह के आयोजन करने की संभावनाओं के प्रति छत्तीसगढ़ के साहित्यकार और कलाकार आशावान हैं। . आयोजनों की यह परंपरा इन नगरों में भी धीरे-धीरे आगे बढ़ेगी, ऐसी उम्मीद है।
मानवीय संवेदनाओं को बचाए रखने के लिए साहित्य एवं कला उत्सव के ऐसे आयोजन आज की आवश्यकता है जिसे गंभीरता से क्रियान्वित करना हम सभी का संयुक्त दायित्व है.आइए मिलकर दो कदम और आगे बढ़े।
बस इतना ही फिर मिलेंगे, किसी अगली चर्चा पर
राजेश सिन्हा – 8319654988