
प्राकृतिक कृषि पर दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न
गोरखपुर महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, चौकमाफी, गोरखपुर में गौ आधारित प्राकृतिक कृषि विषय पर प्रशिक्षण संपन्न हुआ। कार्यशाला में आज दूसरे दिन द्वारा मृदा वैज्ञानिक एवं केंद्र में प्राकृतिक कृषि योजना के नोडल ऑफिसर डॉ. संदीप प्रकाश उपाध्याय प्राकृतिक उत्पादों का प्रायोगिक रूप से उत्पादन एवं प्रदर्शन कार्य कराया गया । सर्वप्रथम प्रशिक्षण प्राप्त करने वालो द्वारा जीवामृत जो कि यह सूक्ष्म जीवाणुओं का महासागर है। जो पेड़ पौधों के लिए कच्चे पोषक तत्वों को पकाकर पौधों के लिये भोजन तैयार करते हैं। इसको बनाने के लिए गौमूत्र 5-10 लीटर, गोबर 10 किलो, गुड़ 1-2 किलो, दलहन आटा 1-2 किलो, एक मुट्ठी जीवाणुयुक्त मिट्टी (100 ग्राम), पानी 200 लीटर, मिलाकर, इनको जूट की बोरी से ढककर छाया में रखना चाहिए। फिर सुबह- शाम डंडे से घड़ी की सुई की दिशा में घोलना चाहिए । अंत में 48 घंटे बाद छानकर सात दिन के अन्दर हो प्रयोग किया जाना चाहिए । प्रायोगिक कार्य की कड़ी में दशपर्णि अर्क जो कि कीट व रोग प्रबंधन में उपयोगी है उसको भी बनाने का प्रायोगिक कार्य किया गया। जो कि चार चरण में बनाया जाता है । प्रथम चरण में 200 लीटर पानी, 20 लीटर गोमूत्र तथा 2 किलो गोबर, 12 घंटे के लिए रख देना चाहिए। द्वितीय चरण में 500 ग्राम हल्दी, 500 ग्राम अदरक तथा 10 ग्राम हींग मिलाकर 24 घंटे के लिए जूट के बोरे से ढक कर रख देंगे । तृतीय चरण में तंबाकू 1 किग्रा, तीखी हरी मिर्च 1 किग्रा तथा 250 ग्राम लहसुन कूटकर 24 घंटे के लिए जूट के बोरे से ढक कर रख देंगे तथा 12 घंटे पर घड़ी की दिशा में घुमाना चाहिए । चतुर्थ चरण में धतूरा, मदार, अरंडी, शरीफा, नीम, करंज, बेल, पपीता, कनेर, लेंटिना, अर्जुन, अमरूद, आम, गेंदा, गुड़हल आदि जिन पत्तो को पशु नही खाते 20 किग्रा उपयोग करना है तथा 40 दिन तक सुबह शाम घड़ी की दिशा में घुमाना है । तत्पश्चात छान कर 3% का घोल बना कर उपयोग करना है । इसको 6 माह तक रख कर रखा जा सकता है । केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ अजीत कुमार श्रीवास्तव के द्वारा एक एकड़ का पंचस्तरीय बागवानी, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र तथा बेड पद्धति के बारे में पूर्ण जानकारी दी गई । साथ ही प्रशिक्षण के अंत में कृषकों को प्रशस्ति पत्र वितरण किया गया। इस अवसर पर केंद्र के अध्यक्ष डॉ विवेक प्रताप सिंह, सस्य वैज्ञानिक श्री अवनीश कुमार सिंह, गृह वैज्ञानिक श्रीमती श्वेता सिंह, गौरव सिंह, जितेंद्र सिंह, शुभम, मिथिलेश, प्रगतिशील कृषक त्रियुगीनाथ, मोहन, ज्ञानमणी, विश्वनाथ, हरिश्चंद्र सहित 40 कृषक उपस्थित रहे ।
संपादक – राजेश सिन्हा