मनेंद्रगढ़- 15 अगस्त को मुख्यमंत्री मनेंद्रगढ़ को जिला बनाने की घोषणा के साथ ही मनेंद्रगढ़ में जश्न का माहौल हो गया लोग एक दूसरे के गले मिलते दिखे वहीं बाजार में पढ़ाके फोड़ते और रंग खेलते दिखे मनेंद्रगढ़ में 38 साल इस संघर्ष का नतीजा मनेंद्रगढ़ जिला के रूप में घोषित हुआ वही मनेंद्रगढ़ इस खुशी में और बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल का आत्मीय आभार देने सैकड़ों गाड़ियों की काफिला से निकले लेकिन उन्हें यह नहीं मालूम था कि उनके साथ धोखा हो रहा है वही मनेंद्रगढ़ राजनीतिक नेताओं के नेतृत्व पर भी सवाल उठने लगा है जहां 38 साल का संघर्ष पर 4 दिन के संघर्ष भारी पड़ गया मनेंद्रगढ़ के आगे चिरमिरी और भरतपुर को भी जोड़ दिया क्या जहां अब यह चिंता मनेंद्रगढ़ वाले को सता रही है कि मुख्यालय भी कहीं चिरमिरी ना चला जाए सबसे बड़ा सवाल तो यह है क्या मनेंद्रगढ़ में वास्तव में यहां के नेताओं में नेतृत्व की कमी है या सचमुच नाम जोड़ने से विकास की गंगा बहेगी अगर ऐसा है विचार विधायकों का तो बिना नाम का भी विकास की गंगा बहा सकते थे लेकिन अब देखना है आगे क्या होता है क्या मनेंद्रगढ़ अपने आप को ठगा महसूस करेगा क्या सचमुच न्याय मिलेगा
खबर जागरण न्यूज़