
गौ आधारित प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय कार्यशाला आरंभ
गोरखपुर पीपीगंज प्राकृतिक कृषि के विस्तारीकरण योजना के अंतर्गत आज महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, चौकमाफ़ी,गोरखपुर में दो दिवसीय गौ आधारित प्राकृतिक खेती विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में मृदा वैज्ञानिक एवं केंद्र में प्राकृतिक कृषि योजना के नोडल ऑफिसर डॉ. संदीप प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि खेती ने आज के समय में प्राकृतिक सिद्धांत एवं सुरक्षा की दिशा एवं दशा को सुधारा जा सकता है । अत्यधिक रसायनों एवम कीटनाशकों के प्रयोग से मृदा स्वास्थ्य फसलों में रसायनों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है । डॉ उपाध्याय ने प्राकृतिक खेती के अंतर्गत बीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत, अग्नियास्त्र, दशपर्णी अर्क जैसी चीजों का खेती में प्रयोग करके खेती को जहरमुक्त बताया जा सकता है। भविष्य में आने वाले संकट से मृदा एवं मानव को सुरक्षित किया जा सकता है। बीजामृत (बीज शोधन हेतु) को बनाने के लिए 5 किलो गोबर, 5 लीo गौमूत्र, 50 ग्राम चूना, एक मुट्ठी मिट्टी, 20 लीटर पानी में मिलाकर 24 घंटे रखें। दिन में दो बार लकड़ी से घड़ी की दशा में घुमाया जाए । इसे 100 किलो बीजों पर उपचार किया जा सकता है । बीज शोधन के पश्चात इसको छांव में सुखाकर बोयें। साथ ही बताया कि बढ़ते हुए तापमान के कारण उत्पादन प्रभावित हो रहा है।हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम कम से कम पांच वृक्ष अवश्य लगाएं जो हमारे एवं मानव जीवन के लिए एक वरदान साबित हो सके। केंद्र के अध्यक्ष डॉ विवेक प्रताप सिंह ने प्राकृतिक खेती के अंतर्गत बागवानी,देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र के गुणधर्म पर विस्तार से प्रकाश डाला सकता है बताया कि किसान खेत पर एक गाय समृद्धि का मूल आधार है तथा बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अनवरत प्रयास किया जा रहा है । इस अवसर पर केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ अजीत कुमार श्रीवास्तव, सस्य वैज्ञानिक अवनीश कुमार सिंह, गृह वैज्ञानिक श्वेता सिंह, गौरव सिंह, जितेंद्र सिंह, शुभम, मिथिलेश, प्रगतिशील कृषक त्रियुगीनाथ, मोहन, ज्ञानमणी, विश्वनाथ, हरिश्चंद्र सहित 40 कृषक उपस्थित रहे ।
संपादक – राजेश सिन्हा